कश्मीर में आग लगाती विदेशी मीडिया

       


जम्मू कश्मीर से धारा-370 को हटाना मोदी सरकार का काफी साहसिक फैसला है। इसके बाद उम्मीद जतायी जा रही थी कि, घाटी में हालात बिगड़ेगें। लेकिन मोदी सरकार की रणनीति के सामने आतंकवादियों, पाकिस्तानी खुफियां एजेन्सियों और अलगाववादियों ने घुटने टेक दिये। कश्मीर में हालात दिन पर दिन सुधर रहे है। आवाम् धीरे- धीरे अपनी रोजमर्रा की ज़िन्दगी की तरफ लौट रही है। इन्टरनेट कनेक्शन और टेलीफोन सेवायें धीरे- धीरे बहाल करी जा रही है। सुरक्षा बलों की ढ़ील से बाज़ार में रौनके लौटने लगी है। बावजूद इसके मोदी सरकार काफी गहराई हालातों पर नज़र बनाये हुए है। जिसकी कमान एनएसए अजित दोभाल सहित सेना और जम्मू कश्मीर पुलिस के कई वरिष्ठ अधिकारियों के पास है। केन्द्र सरकार ने एहतियान कदम उठाते हुए अलगाववादी नेताओं पर पैनी निगाहें बना रखी है।

     सोशल मीडिया पर खासा नज़र रखी जा रही है। ट्विटर ने जम्मू और कश्मीर में कई अकाउन्टों को ब्लॉक करने की प्रक्रिया तेज कर दी है। जो भड़काऊ पोस्ट करने के लिए जाने जाते है। कुछ देशविरोधी ताकतों ने फेक वीडियों और नकली तस्वीरों की मदद लेकर हालातों बिगाड़ने की कोशिश की, लेकिन सरकारी रणनीति के सामने ये हरकतें पस्त हो गयी। ऐसे में कई विदेशी मीडिया संगठन जम्मू और कश्मीर के मसले पर गलत रिपोर्टिंग करके हालातों को भड़काने से बाज़ नहीं आ रहे है। बीबीसी, अलजजीरा और रॉयटर्स जैसे विदेशी मीडिया संगठन फैक नैरेटिव तैयार कर रहे है। इनकी रिपोर्टिंग के ढ़ंग से लगता है कि, ये सभी पाकिस्तानी प्रोपेगैंड़ा मशीनरी का हिस्सा है। यहाँ तक कि इन मीडिया संगठनों के पत्रकार भी फेक ऑपनियन बनाने से बाज़ नहीं आ रहे है। भारत में रॉयटर्स की कॉरपॉन्डेंट जेब़ा सिद्दिकी ने कुछ ऐसा ही किया। जेबा ने जम्मू कश्मीर पर आपत्तिजनक ट्विट किये, जो कुछ इस तरह से है।

        मैं नौ दिन बाद कश्मीर के कम्युनिकेशन ब्लैकआउट से वापस लौट रही हूँ। वहाँ लौटने के बाद एक शब्द मेरे ज़हन् में अटक गया है। वो हो ज़ुल्म। वहाँ पर सभी लोग पूछ रहे इंडिया हम लोगों पर इतना जुल्म क्यों कर रहा है।
मैनें जितने दिन वहाँ रिपोर्टिंग की, उससे यहीं निष्कर्ष निकल रहा है कि कश्मीरी अवाम् बोलने के लिए बेताब है। जितना उनकी आवाज़ को दबाया जायेगा, वो फट पड़ेगी।


कश्मीर के एक युवक मुझसे कहा कि “अगर दुनिया हमारी नहीं सुनेगी, तो हम क्या करेगें बंदूक ही उठायेगें। सौरा में सुरक्षा बल काफी सख्ती बरत रहे है।

रॉयटर्स ने नौ अगस्त को सौरा में हुए भारत विरोधी प्रदर्शनों में 10,000 से अधिक लोगों के इकट्ठा होने की सूचना सबसे पहले दी थी। वीडियों में साफ देखा जा सकता है कि भारत सरकार और उसके सुरक्षा बल किस तरह से लोगों को प्रताड़ित कर रहे है। तबसे आजतक दो बार ऐसे बड़े प्रदर्शन हो चुके है।


पिछले शुक्रवार को जुम्मे की नमाज़ के दौरान मैंने देखा कि बुजुर्ग ख्वातिनें आसमान की ओर देखकर हिन्दुस्तानी हुकूमत से आजादी के लिए दुआ मांग रही थी। कुछ बच्चों को मैनें उड़ते ड्रोन पर पत्थर मारते भी देखा। एक जवान लड़की ने मेहन्दी से हाथों पर लिखा था हमें चाहिए आज़ादी ।
घाटी में हालात शायद ही शांत थे। एक इलाके के रिहाइशी शख्स ने हमें बताया कि, सुरक्षा बलों ने रात में हमारे घरों पर पत्थरबाजी की लोगों की खिड़कियों पर पत्थर मारे। एक बुजुर्ग व्यक्ति जिसका ट्रक खराब हो गया था, उसने हमसे पूछा: "हिन्दुस्तान हमारे साथ ऐसा क्यों कर रहा है?"

ईद के पाक मौके पर श्रीनगर की सड़कों पर सन्नाटा पसरा था। ईदगाह और जामिया मस्जिद को बंद रखा गया था, जहाँ पर लोग ईद के मौके पर लोग अक्सर नमाज़ अता करने के लिए इकट्ठा हुआ करते थे। ईद मुस्लिमों को अहम् त्यौहार है, लेकिन घाटी से त्यौहार वाला माहौल नदारद था।

बारजुल्ला में एक छोटी सी मस्जिद में, जहां ख़्वातिनें चुपचाप ईद की नमाज के लिए इकट्ठी हो रही थीं, एक कोने में बैठी एक बुजुर्ग महिला मेरी तरफ झुक गई क्योंकि मैं नोट ले रही थी, और उसने मुझसे कहा: “देखिए उन्होंने हमारे कश्मीर का क्या किया है? लोग ईदगाह पर भी नहीं जा पा रहे है। हिन्दुस्तान बेहद ज़ालिम है। ”

“हम लोग क्या खाक़ ईद मना रहे हैं ? मैं अपने रिश्तेदारों को ईद की मुबारक देने के लिए भी नहीं बुला सकती, हम चीजें खरीदने के लिए बाहर नहीं जा सकते। तो ये किस तरह का त्यौहार है? ”कश्मीर में एक दूसरी ख़्वातिन ने कहा।


15 अगस्त को हिंदुस्तान की आजादी के दिन मोदी ने नई दिल्ली के लाल किले से दिये गये भाषण में कहा कश्मीर से विशेष राज्य के दर्जे को खत्म कर दिया गया, कश्मीर अभी भी बंद था - जबरन लोगों को खामोश कर दिया गया है। कश्मीरी इसे "ब्लैक डे" कह रहे है।

श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर क्रिकेट स्टेडियम में हुई परेड में 500 से भी कम लोगों ने हिस्सा लिया, जिसमें बड़े पैमाने पर सुरक्षा बल और सरकारी अधिकारी शामिल थे। जम्मू से बुलाए गए पेशेवर डांसरों की एक टुकड़ी ने देशभक्ति के गीतों पर पर नाच किया।
इस दौरान स्टेडियम में बामुश्किल कोई कश्मीरी बंशिदा नजर आया होगा। थोड़ी दूर चलने पर देखा कि, हेलीकॉप्टरों खाली सड़कों की निगरानी कर रहे थे, 70 वर्षीय गुलाम अहमद एक बंद दुकान के बाहर बैठे थे। उन्होनें कहा कि"10 दिन से कोई काम नहीं है। मैं बीमार हूं लेकिन दवाई खरीदने के लिए पैसे तक नहीं हैं।


श्री नगर के सौरा इलाके में दर्जनों लोग घायल हो गए हैं, वहाँ लोकल बंशिन्दों के साथ सुरक्षा बलों की रोजाना ऐसी ही झड़प होती है कई घायल लोग गिरफ्तारी के डर से अस्पताल नहीं जाते हैं।



उनमें से कई पैलेट गनों के छर्रों के घायल हुए थे। तीन घायल लोग एक घर की दूसरी मंजिल के कमरे में थे, जहां एक युवा फिजियोथेरेपिस्ट उनका इलाज़ कर रहा था, उसने इस तरह के घावों के इलाज़ करने की ट्रेनिंग नहीं ली थी। उसने कहा अगर घाटी में रहना है तो इस इलाज़ को करना सीखना होगा।


श्रीनगर के श्री महाराजा हरि सिंह अस्पताल में, एक बुजुर्ग व्यक्ति से मिला, जो छत से मुझे घूर रहा था, उसके कुर्ते का एक हिस्सा खून से लथपथ था।

श्रीनगर के बेमिना में कई घरों के बाहर खिड़कियों कांच टूटे हुए थे। महिलाओं ने हमें अपने घरों में खींच लिया, टूटे फर्नीचर और क्षतिग्रस्त गड़ियों को दिखाने के लिए वो बेताब थी।
एक दूसरी औरत ने कहा कि, उसका तीन महीना बेटा घर में खिड़की के पास फर्श पर सो रहे था, तभी सुरक्षा बलों ने खिड़की के शीशे को तोड़ा और उसके पति को ले जाने से पहले पिटाई की।

श्रीनगर के मैसूमा इलाके में, एक सुबह, जैसा कि मैंने एक बुजुर्ग महिला से पूछा कि ईद कैस थी, उसके बगल में एक 12 वर्षीय लड़की खड़ी थी। "क्या आप इन सभी ईद समारोह को यहाँ नहीं देख सकते हैं?"




सुरक्षा बलों से घिरी हुई सड़क के किनारे बैठे एक बूढ़े शख्स ने जो कहां, वो मैं कभी भूल नहीं सकती "अगर मैं आज यहां मरता हूं तो मेरे जिस्म़ को दफनाने के लिए कौन आएगा?"

       देखिये किस तरह विदेशी पत्रकार कश्मीर की खबरों को दुनिया भर के सामने तोड़-मरोड़ गलत तरीके से पेश कर रहे है। मानवाधिकार के हनन की गलत रिपोर्टिंग करके भारत की छवि अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर खराब करने में विदेशी मीडिया संस्थान कोई कसर नहीं छोड़ रहे है। भारत की बढ़ती प्रसिद्धि इन संस्थानों की आंखों में किरकिरी बनी हुई है। जिस तरह से रॉयटर्स की पत्रकार ने ये ट्विट किये है उससे तो यहीं लगता है। दूसरी और घाटी के हालात इससे बेहद जुदा है। कश्मीर की आव़ाम मोदी सरकार के इस फैसले को बेहतर कल की उम्मीद के तौर पर देख रही है। वहाँ अब अमन चैन और शांति का माहौल है। बच्चे स्कूलों की ओर रूख़ कर रहे है, इन्टरनेट और फोन सेवायें बहाल की जा रही है। ऐसे में रॉयटर्स की इस हरकत ने दिखा दिया है कि, निष्पक्ष पत्रकारिता के नाम पर उसने पर्दे पीछे पाकिस्तान से हाथ मिला रखे है। फर्जी फोटो और नकली वीडियों घाटी का माहौल बिगाड़ सकते है। ऐसे में रॉयटर्स की इस शर्मनाक हरकत का संज्ञान केन्द्र सरकार को तुरन्त लेना चाहिए। आइये हम आपको कुछ ऐसे ट्विट से रूबरू कराते है, जो घाटी की हकीकत को बयां करते है।

कारवां मैगजीन के मुताबिक कश्मीर में हिंसा को कोई खब़र नहीं है। इसके चलते सरकार को इस बात घोषणा करने की देनी चाहिए कि सब कुछ शांत है।









 




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