अब बैंकों की किस्मत भी इंश्योरेंस कम्पनी के हवाले
देशभर में वित्तीय घोटालों की तादाद काफी बढ़ गयी है। इसकी चपेट में कई बड़े-बड़े ऑर्गनाइजेशन भी आये। जिनके नाम सुनकर लोग भौंचक्के भी हुए। किंगफिशर, गीताजंलि ज्वैलर्स,पीएमसी बैंक इनमें से कुछ खास नाम है। कई सरकारी कम्पनियां और पीएसयू भी घाटे में चल रहे है। जिसके चलते उन पर देनदारियां बढ़ती जा रही है। ऐसे हालत में जिन बैकों ने इन कम्पनियों और पीएसयू को लोन दे रखा था, उसकी रिकवरी तकरीबन-तकरीबन मुश्किल होती जा रही है। ऐसे में लोन रिकवरी ना होने के चलते कुछ बैंक दिवालिया होने के कगार पर आ गये थे। जिससे बचने के लिए केन्द्र सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का बड़े पैमाने पर मार्जर किया। ऐसे में निजी क्षेत्र के बैंक दिवालिया होने के हालात में क्या करे। इसकी एक दिलचस्प तस्वीर सामने आयी, एचडीएफसी बैंक की एक पासबुक पर रबड़ स्टैंप लगी हुई थी।
स्टैंपड टैक्सट के मुताबिक अगर एचडीएफसी बैंक कभी दिवालियेपन के कगार पर आ जाता है तो डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (DICGIC) बैंक ग्राहकों को सिर्फ एक लाख रूपये वापस करने का इंश्योरेंस देता है। भले ही ग्राहक के खाते में एक लाख रूपये से ज़्यादा पैसे क्यूं ना जमा हो। ये पैसा भी क्लेम फाइल करने के दो महीने बाद मिलेगा। जैसे ही ये मैसेज सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो एचडीएफसी के अकाउंट होल्डर्स के बीच हड़कंप मच गया। जिसके चलते एचडीएफसी को स्पष्टीकरण जारी करना पड़ा। बैंक ने वायरल हो रही पोस्ट को पूरी तरह से खाऱिज नहीं किया। लेकिन ऑफिशियली ये जरूर कहा कि ये नियम 2017 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने जारी किया था।
जिसका पालन अभी भी हो रहा है। इस नियम के मुताबिक अगर बैंक दिवालियेपन के कगार पर आ जाता है तो DICGIC बैंक के अकाउंट होल्डर्स को एक लाख रूपये देने के लिए जिम्मेदार होगा। गौरतलब है कि DICGIC रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की एक सहायक कम्पनी है।
स्टैंपड टैक्सट के मुताबिक अगर एचडीएफसी बैंक कभी दिवालियेपन के कगार पर आ जाता है तो डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (DICGIC) बैंक ग्राहकों को सिर्फ एक लाख रूपये वापस करने का इंश्योरेंस देता है। भले ही ग्राहक के खाते में एक लाख रूपये से ज़्यादा पैसे क्यूं ना जमा हो। ये पैसा भी क्लेम फाइल करने के दो महीने बाद मिलेगा। जैसे ही ये मैसेज सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो एचडीएफसी के अकाउंट होल्डर्स के बीच हड़कंप मच गया। जिसके चलते एचडीएफसी को स्पष्टीकरण जारी करना पड़ा। बैंक ने वायरल हो रही पोस्ट को पूरी तरह से खाऱिज नहीं किया। लेकिन ऑफिशियली ये जरूर कहा कि ये नियम 2017 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने जारी किया था।
जिसका पालन अभी भी हो रहा है। इस नियम के मुताबिक अगर बैंक दिवालियेपन के कगार पर आ जाता है तो DICGIC बैंक के अकाउंट होल्डर्स को एक लाख रूपये देने के लिए जिम्मेदार होगा। गौरतलब है कि DICGIC रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की एक सहायक कम्पनी है।
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