लाल किताब के ये उपाय जीवन खुशहाल बनाये



भारतीय धर्मग्रंथो संहिताओं और ज्योतिषीय साहित्य के बाद अगर किसी का नाम सबसे प्रभावशाली माना जाता है तो उसका नाम है लाल किताब। इस किताब की उत्पत्ति को लेकर बहुत से मतभेद और कहानियां है। जिस तरह के उपाय इसमें बताये गये है, वो भारतीय ज्योतिषीय परम्परा के सामुद्रिक शास्त्र के काफी निकट है। जिसमें शारीरिक रूपरेखा, जीवनदायी ऊर्जा का संतुलन और हस्तरेखा ज्ञान से जुड़े विषयों के बारे में लिखा गया है। इसके मुताबिक यदि ऊर्जा के स्तर में असुन्तलन की स्थिति बनती है तो जीवन में कई तरह के विकार उत्पन्न होते है, जो मनुष्यों के लिए पीड़ादायी होते है। 


एक अन्य सिद्धान्त के अनुसार लाल किताब की रचना जालन्धर निवासी पंड़ित रूपचंद जोशी ने की थी। इसका मूल संस्करण उर्दू और फारसी में लिखा गया था और साथ ही ये पाँच भागों में प्रकाशित भी हुई। कालान्तर में साल 1952 में इसका हिन्दी संस्करण सामने आया। जिसका प्रकाशन चंडीगढ़ के अरूण प्रकाशन से किया गया। उस दौरान इसे अरूण संहिता लाल किताब के नाम से भी जाना गया। नागरी प्रचारिणी सभा काशी के ज्योतिषीय शास्त्र विद्वानों के मुताबिक इस विद्या के उत्पन्न करने वाले भगवान सूर्य के सारथी अरूण थे। इसीलिए इसे अरूण संहिता लाल किताब कहा जाता है। 


लाल किताब की खास बात ये है कि, इसमें दिये गये उपाय बेहद सरल है। जिसे एक आम आदमी भी कर सकता है। बिना किसी खास विधि-विधान को जाने। इन उपायों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सामग्रियां आमतौर पर घरों में ही हासिल हो जाती है। 



लाल किताब के कुछ अचूक उपाय 


  • घर से किसी विशेष काम के लिए निकलते समय घर में या घर के आस-पास 2 से 7 वर्ष तक छोटे बच्चों को किसी भी तरह प्रसन्न करे। उनका मुस्कान भरा चेहरा मन में उतारकर अपने इष्ट का स्मरण करे। विशेष काम सफलता आवश्य हासिल होगी। 

  • यदि घर में कोई लंबे समय से बीमार हो या फिर बार-बार घर का कोई सदस्य बीमार पड़ रहा हो तो रात में सोते समय पीतल के लोटे में पानी भर कर उसके सिरहाने के पास रख दे। प्रातः काल स्नान करवाकर उस व्यक्ति के हाथ से रात में रखा पीतल के लोटे का जल माँ तुलसी को अर्पित कर दे। और साथ ही माँ तुलसी स्वास्थ्य लाभ की याचना करे। (ध्यान रखे ये क्रिया करते समय कोई देख ना रहा हो) 

  • यदि प्रतिदिन घर में क्लेश होता हो तो, शाम के समय चांदी के बर्तन में (छोटा चम्मच भी हो सकता है) लोहबान, कपूर और लौंग का तेल एक साथ जलकर उसका धुँआ पूरे घर में करे। घर से तौर से बेड के नीचे, अलमारी के पीछे और घर के उन हिस्सों में जहाँ आमतौर पर साफ-सफाई करना संभव ना होता हो। 

  • यदि लंबे समय से पाचन संबंधी दिक्कतें चल रही हो तो, प्रातःकाल की सैर पर निकलते समय नंगे पांव निकले और साथ ही नंगे पांव से पृथ्वी से मिलने वाले ऊर्जा का प्रवाह अपने शरीर में महसूस करे। बेहतर तो ये होगा यदि आप प्रातः नंगे ओस से सनी हुई मिट्टी में घूमे इससे शीघ्र लाभ मिलता है। (इस उपाय को करते समय ये सावधान बरते से कहीं कुछ पाँव में ना चुभ जाये) 

  • यदि मनचाहा वर प्राप्त करने में किसी तरह की बाधा आ रही हो तो प्रातः काल स्नानादि से निवृत होकर माँ कात्यायनी का स्मरण और मन ही मन में चिंतन करे कि, माँ जिस तरह से आपकी कृपा से गोपियों को कृष्ण का सान्निध्य मिला ठीक उसी तरह मुझे इच्छित वर की प्राप्ति हो। 

  • घर में पड़े खराब बर्तन, फटे कपड़ों और कबाड़ को तुरन्त घर से बाहर निकाल दे। खाना खाने के बाद बर्तन ज़्यादा देर जूठे ना छोड़े उन्हें तुरन्त साफ करके यथा स्थान रख दे। इससे घर में खुशहाली का वास होता है। 

  • हफ़्ते में एक दिन गौशाला जाकर गायों को अपने हाथ से चारा खिलाये। घर में कोई छोटा बच्चा है तो उसे भी साथ ले जाये। चारा खिलाने के बाद स्नेहपूर्वक गाय के माथे पर हाथ फेरे। यदि ये संभव ना होतो किसी गौशाला ने यथा शक्ति दान करें। ये करने से चेहरे पर तेज आता है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में खासा इज़ाफा होता है। 

  • घर के आस-पास किसी कुत्तियां ने बच्चों को जन्म दिया हो तो उस दूध पिलायें ताकि उसे भोजन की तलाश में ज़्यादा भटकना ना पड़े और वो ज़्यादातर समय अपने पिल्लों के पास गुजारें। इससे आपका राहु शांत होता है।

(बताये गये ज़्यादातर सभी उपाय दीर्घकालीन अवधि वाले है, इसलिए तकरीबन रोजाना इन्हें करे या दोहरायेे तभी ये फलदायी सिद्ध होगें)

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