हमारे देश में प्राचीन काल से ही घर, भवन और दूसरी इमारतें बनाना वैज्ञानिक काम रहा है। वैदिक मान्यताओं (Vedic beliefs) के मुताबिक दस दिशायें और उनके दस दिग्पाल या फिर रक्षक देव है। इन्हीं को ध्यान में रखते हुए स्थापत्य कला संबधी कार्य करना वास्तुशास्त्र कहलाता है। हालिया वक़्त में समय और जगह की कमी होने के कारण आम आदमी वास्तु के मूलभूत नियमों का पालन नहीं कर पाता है। ऐसे हालत में वास्तु दोष से भरे निर्माणों में दोष दूर करने के लिए भी उपाय इस शास्त्र में निहित है। कुछ हद तक भारतीय वास्तुशास्त्र चीनी फेंग्शुई (Feng Shui) से मिलता-जुलता है। जिसका मूलमंत्र ये है कि, घर, कार्यालयों, इमारतों व अन्य निर्माणों में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को सतत् बनाये रखना। जीवनदायिनी ऊर्जा (Living energy) के प्रवाह को हर कोने में पहुँचने देने के लिए स्थान उपलब्ध करवाना। ये आवश्यक नहीं कि, वास्तुदोष से भरे निर्माण को तोड़ दिया जाये, कई छोटे उपाय करके भी दोष दूर किया जा सकता है। वास्तुशास्त्र में बर्तन, वस्त्र, फर्नीचर, मूर्तियों और चित्रों का खासा महत्त्त्व होता है।
वास्तुशास्त्र से जुड़े कुछ उपाय
- घर के पास यदि कांटेदार पौधे (नागफनी, कैक्टस) लगे हुए हो तो उन्हें तुरन्त हटाये। यदि ऐसा ना किया तो इससे आपके विरोधियों की तादाद में बढ़ोत्तरी हो सकती है।
- घरों में युद्ध,विषाद से जुड़ी तस्वीरें/चित्र लगाने से बचे। हिंसक जानवरों और इतिहास के नकारात्मक किरदारों से जुड़े दृश्य वाली सिनरियां भी घरों में लगाने से बचे।
- पैसे वाली तिजोरी में तांबे की तीन सिक्के लाल कपड़े में श्रीयन्त्र के साथ बांधकर रखे। और साथ ही घरों में कोई भी चप्पल और जूते उल्टे ना रखे।
- युगलों का कमर उत्तर-पूर्व की ओर दिशा की ओर रखे और साथ ही उनके बेड का सिरहाना उत्तर की ओर रखना अत्यन्त शुभ माना गया है।
- घर की पूर्व दिशा में माँ तुलसी को स्थापित करे। कोशिश करे कि महीने में एक बार प्रातः काल नित्यक्रिया से निवृत हो स्नानादि करके माँ तुलसी का अभिषेक गंगा जल से करे।
- घर के मेन दरवाज़े से लेकर आखिरी कमरे तक किसी तरह का व्यवधान ना रखे। कोशिश करे कि खिड़कियां और दरवाज़ें इतना खोलकर रखे कि धूप ज़्यादा से ज़्यादा आपके घर में बनी रहे।
- पाइप, नल फिटिंग और मोटर में कहीं भी पानी की लीकेज हो तो उसे तुरन्त सही करवाये। घर के अन्दर रिसता हुआ पानी धन की हानि करवाता है।
- घर में रखी अलमारी और बेड में रखे गैर जरूरी सामान की तुरन्त फेंक दे। बेड के नीचे साफ-सफाई रखने की कोशिश करे।
- घर में बने मंदिर से सूखे फूल, जली हुई अगरबत्ती की तीली को तुरन्त हटाये। टूटी हुई मूर्तियों और पूजा के बाद बची सामग्री को यथाशीघ्र भूमि में गाड़ दे।
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