इराक के बगदाद में इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास हुए अमेरिकी रॉकेट हमले में एक नागरिक की मौत सहित 12 इराकी सैनिक घायल हो गये है। गौरतलब है कि इस हमले में ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के तहत आने वाली क्वाड्स फोर्स के कमांडर मेजर जनरल कासिम सोलेमानी भी मारे गये है, जिसके बाद से मिडिल-ईस्ट के हालात बेहद नाज़ुक मोड पर आ गये है। तेहरान और वाशिंगटन डी.सी. के बीच सीधे तकरार के हालात बने गये है।
अमेरिका ने क्यों किये रॉकेट हमले
हाल-फिलहाल में ही अमेरिका ने इराक और सीरिया में कताईब हिजबुल्लाह शिया लड़ाकों को निशाना बनाते हुए हवाई हमले किये थे। जिसके विरोध में इराकी प्रदर्शनकारियों ने अमेरिकी दूतावास का घेराव कर लिया था साथ ही अमेरिकी दूतावास के बाहर हिंसा भड़क उठी और आगजनी भी हुई। इस पूरे घटनाक्रम के लिए अमेरिका मेजर जनरल कासिम सोलेमानी सहित ईरान समर्थित संगठन शिया पॉपुलर मोबिलाइजेशन फोर्स (पीएमएफ) के उप प्रमुख अबु महदी अल-मुहांदिस को जिम्मेदार मानता है। अबु महदी अल-मुहांदिस भी अमेरिकी रॉकेट हमले में मारा गया है।
ट्रम्प के इशारे पर हुई रॉकेट स्ट्राइक-पेंटागन
हमले की जिम्मेदारी लेते हुए पेंटागन ने कहा कि- अमेरिकी ऑर्म्ड फोर्सेस ने बगदाद में शुक्रवार को ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड के कोर कमांडर मेजर जनरल कासिम सुलेमानी को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के आदेश पर हमला किया था। विदेश में रह रहे अमेरिकी कर्मियों की सुरक्षा के लिए ये Defensive Step लिया गया है। अमेरिका ने क्वाड्स फोर्स को बहुत पहले से ही विदेशी आतंकवादी संगठन सूची में डाल रखा है।
सुलेमानी इराक और पश्चिम एशिया में अमेरिकी डिप्लोमेट्स और अमेरिकी सैनिकों पर हमले करने की तैयारी में थे। सुलेमानी की ही अगुवाई में इराक में गठबंधन सेना के ठिकानों पर पिछले कई महीनों से हमले अन्ज़ाम दिये जा रहे थे। जिनमें 27 दिसंबर को हुआ हमला भी खासतौर से शामिल है। इस हमले में कई अमेरिकी और इराकी सैन्यकर्मी घायल हुए थे। जनरल सुलेमानी ने इसी हफ्ते बगदाद में अमेरिकी दूतावास पर हुए हमलों का ताना-बाना बुना था।
इस कवायद से आगे भविष्य में ईरान की ओर से अमेरिका पर होने वाले हमले पर रोक लगेगी। अमेरिकी प्रशासन अपने लोगों और उनके हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
फिलहाल पेंटागन इस कवायद के बाद कासिम सुलेमानी और इराक के शिया अबु मेहदी अल-मुहांदिस की मौत की पुष्टि के लिए डीएनए रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है।
अमेरिकी सैन्य कार्रवाई से तेहरान बौखलाया
मामले पर ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्लाह अली खमनेई ने अपनी बात रखते हुए कहा कि- सुलेमानी का शहादत अल्लाह की रज़ा है। शहीद के बावजूद बावजूद खुदा के रहमो-करम से कमांडर सुलेमानी का काम और उनका नज़रिया हमेशा हमारे साथ रहेगा। गुनहगारों किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जायेगा। उनसे बदला लिया जायेगा। सुलेमानी को वतनपरस्ती के ईनाम के तौर पर शहादत नसीब हुई है।
#Video shows a massive funeral crowd in the streets, all wearing black, in General #Soleimani's hometown (Kerman)#SevereRevenge #Iran #قاسم_سليماني pic.twitter.com/b2NNlep3kC— Iran (@Iran) January 3, 2020
ईरान के विदेश मंत्री ने मोहम्मद जावेद जरीफ अमेरिका को खुली चेतावनी देते ट्विट किया कि- कासिम सुलेमानी ने आईएसआईएस, अल नुसरा और अल कायदा जैसे आतंकवादी संगठनों से कड़ी टक्कर लेते हुए उन्हें धूल चटाई लेकिन जिस तरह से अमेरिका उन्हें निशाना बनाते हुए उनकी हत्या की, ये बेहद बेवकूफाना और खतरनाक कवायद थी। अमेरिक अपने इस गैर जिम्मेदाराना कदम के लिए खुद जिम्मेदार होगा। इसका भारी अन्ज़ाम उसे भुगतना होगा।
#Video shows Iranian students on the way to #Iran’s Leader office for offering condolences over General #Soleimani assassination #SevereRevenge #قاسم_سليماني pic.twitter.com/YP0N8kw8Z1— Iran (@Iran) January 3, 2020
हमले को लेकर अमेरिकी संसद में दो-फाड़
अमेरिकी संसद के डेमोक्रेट सांसदों ने इस हमले की कड़ी निंदा की है। जोए बिडेन, बर्नी सांडर्स, एलिजाबेथ वारेन, एंडयू यांग और सीनेटन क्रिस मर्फी अमेरिकी सैन्य हमले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। और कहा कि इससे अमेरिका और ईरान के बीच तनावपूर्ण माहौल और ज़्यादा बढ़ेगा। रूस भी ईरान के समर्थन में खड़ा है।
इस्राइल भी हाई-अलर्ट मोड पर
अमेरिकी हमले के बाद इस्राइली सुरक्षा एजेन्सियां और सेना हाई-अलर्ट पर है। हालातों की समीक्षा करने के लिए प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने ग्रीस दौरा रद्द कर दिया है। तत्काल प्रभाव से वरिष्ठ कमांडरों की बैठक बुलाई है। नेतन्याहू को पल-पल बदलते हालातों से अवगत कराया जा रहा है। साथ ही सरकार ने अपने किसी भी मंत्री को मामले पर टिप्पणी ना करने की एडवाइजरी भी जारी की है। माना जा रहा है कि ब़यानबाज़ी से हालात और भी नाज़ुक मोड़ पर पहुँच सकते है। सुरक्षा एजेन्सियां का मानना है कि बौखलाया ईरान बदले की कार्रवाई के चलते हिज़्बुल्लाह और हमास से हमले करवा सकता है।
सैन्य खींचतान का सीधा असर भारत पर
आंशका जतायी जा रही है कि अमेरिका अब ईरान पर अब और कई कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगा सकता है। जिसके चलते भारत ईरान से क्रूड ऑयल नहीं खरीद पायेगा। क्रूड ऑयल के दाम कहीं और से खरीदने की सूरत में डीजल पेट्रोल और दूसरे पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में इज़ाफा आयेगा। जिससे मंहगाई बढ़ने के सीधे आसार बनते दिख रहे है। चाबहार बंदरगाह निर्माण के निर्माण में भारत ने निवेश कर रखा है, जिसके चलते हमारे आर्थिक हितों को नुकसान पहुँचने का अंदेशा है।
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