जैवकीय विविधताओं पर
मंडराते खतरे, मरूस्थलीकरण और जलवायु परिवर्तन की गंभीर समस्यायों पर चिंतन के लिए
ग्रेटर नोएडा के एक्सपो मार्ट में कॉप-14 (कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज) कार्यक्रम चल
रहा है। ये कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन (यूएनसीसीडी) के तत्वाधान में
संचालित हो रहा है। इस कार्यक्रम में दुनिया भर के 190 देशों के मंत्रियों ने
शिरकत की है। गौरतलब है कि कॉप का ये कार्यक्रम इतने बड़े पैमाने पर भारत में पहली
बार हो रहा है। ये कार्यक्रम 13 सितम्बर 2019 तक चलेगा। अगले साल यानि कि 2020 में
इसके होने वाले महासम्मेलन की अध्यक्षता भी भारत ही करेगा।
अधिवेशन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ये
बड़ी बातें कहीं
- भारत में भूमि की महत्ता को इसी बात से जाना जा सकता है कि, हमारी संस्कृति में धरती को मां का दर्जा हासिल है। भारतीय संस्कारों में धरती अत्याधिक पवित्र है, प्रात:काल जमीन पर पांव रखने से पहले हम धरती माँ से क्षमा याचना करते हैं।
- आज दुनिया भर में लोगों को जलवायु परिवर्तन और जैवकीय विविधताओं पर बढ़ते खतरे को लेकर निराशावादी सोच का सामना करना पड़ रहा है। जिसके कारण समुद्रों का जल स्तर बढ़ रहा है। बारिश, बाढ़ और तूफान हर जगह इसका सीधा असर देखने को मिल रहा है।
- आज दुनियाभर में पानी की समस्या काफी गंभीर हो चुकी है, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पानी बचाने के मसले पर एक सेमिनार बुलाने की जरूरत है जहां पर इन समस्यायों का हल निकाला जा सके। भारत पानी बचाने और पानी का सही इस्तेमाल करने की ओर कारगर कदम बढ़ा चुका है।
- केन्द्र सरकार किसानों की आमदनी दोगुना करने की ओर तेजी से कदम बढ़ा रही है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए अलग-अलग प्रभावी तरीकों से देश के अन्नदाताओं को खेती की आधुनिकतम तकनीकें सिखाई जा रही है। पानी की समस्या के मद्देनज़र हमने अलग से मंत्रालय का गठन किया है, ताकि जल से जुड़ी सभी समस्यायों का हल एक मंत्रालय के तहत किया जा सके।
- हम सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल को रोकने के लिए कदम उठा चुके है। जलवायु परिवर्तन का बायोडाइवर्सिटी और जमीन दोनों पर सीधा असर होता है। हम सब जानते हैं कि इसका दुनियाभर पर नेगेटिव इफैक्ट हो रहा है। भू-क्षरण को कभी रिवर्स नहीं किया जा सकता।
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