बने नोबल सम्मान पाने वाले वे नौवें भारतीय
भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी विनायक को विश्व के सर्वोच्च सम्मान नोबल के पुरस्कृत किया गया है। उन्हें अर्थशास्त्र के क्षेत्र में विशेष काम करने के लिए अर्थशास्त्र के नोबल पुरस्कार संयुक्त रूप से दिया जा रहा है। उनके साथ एस्थर डुफलो और माइकल क्रेमर को भी ये सम्मान दिया जा रहा है। खास बात ये है कि नोबल सम्मान पाने वाले वे नौवें भारतीय है। इससे पहले रविन्द्रनाथ टैगोर, चन्द्रशेखर वेंकटरमण, हरगोविंद खुराना, मदर टेरेसा, सुब्रहमण्यम चन्द्रशेखर,अमर्त्य सेन, वेंकट रामाकृष्णन, कैलाश सत्यार्थी को ये सम्मान मिला चुका है।
अभिजीत बनर्जी फिलहाल अमेरिका में कार्यरत है। मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के अन्तर्गत फोर्ड फाउंडेशन इंटरनेशनल में वो इक्नॉमिक्स के प्रोफेसर है। अभिजीत ने कई बड़े-बड़े पदों पर अपनी सेवायें भी दी है। ब्यूरो ऑफ रिसर्च इन द इकोनॉमिक एनालिसिस ऑफ डेवलपमेंट में चेयरमैन रह चुके है, एनबीइआर (NBER) में रिसर्च एसोसिएट, सीइपीआर (CPER) में रिसर्च फेलो, कील इंस्टीट्यूट में इंटरनेशनल रिसर्च फेलो, अमेरिकन एकेडमी ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज के चेयरमैन हैं। इसके साथ ही अभिजीत काइल इंस्टीट्यूट के इंटरनेशनल के फेलो और इन्फोसिस पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुके है। कोलकाता विश्वविद्यालय से स्नातक और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से परास्नातक हैं और साथ ही 1988 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी भी हासिल की है। उन्हें पुरस्कार मिलने के साथ देश की सियासत में भी हल्की फुल्की खलबली देखने को मिली है। जब उन्हें सम्मान मिलने की घोषणा हुई तो भारत को लेकर उन्हें बयान दिया कि इंडियन इकोनॉमी की हालत काफी लड़खड़ायी सी लग रही है। हालिया आंकड़े ये विश्वास दिलाने के लिए नाकाबिल लग रहे है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में फौरी तौर पर कोई सुधार आयेगा।
अभिजीत बनर्जी फिलहाल अमेरिका में कार्यरत है। मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के अन्तर्गत फोर्ड फाउंडेशन इंटरनेशनल में वो इक्नॉमिक्स के प्रोफेसर है। अभिजीत ने कई बड़े-बड़े पदों पर अपनी सेवायें भी दी है। ब्यूरो ऑफ रिसर्च इन द इकोनॉमिक एनालिसिस ऑफ डेवलपमेंट में चेयरमैन रह चुके है, एनबीइआर (NBER) में रिसर्च एसोसिएट, सीइपीआर (CPER) में रिसर्च फेलो, कील इंस्टीट्यूट में इंटरनेशनल रिसर्च फेलो, अमेरिकन एकेडमी ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज के चेयरमैन हैं। इसके साथ ही अभिजीत काइल इंस्टीट्यूट के इंटरनेशनल के फेलो और इन्फोसिस पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुके है। कोलकाता विश्वविद्यालय से स्नातक और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से परास्नातक हैं और साथ ही 1988 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी भी हासिल की है। उन्हें पुरस्कार मिलने के साथ देश की सियासत में भी हल्की फुल्की खलबली देखने को मिली है। जब उन्हें सम्मान मिलने की घोषणा हुई तो भारत को लेकर उन्हें बयान दिया कि इंडियन इकोनॉमी की हालत काफी लड़खड़ायी सी लग रही है। हालिया आंकड़े ये विश्वास दिलाने के लिए नाकाबिल लग रहे है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में फौरी तौर पर कोई सुधार आयेगा।
जहाँ एक ओर सोशल मीडिया पर उन्हें बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है, वहीं दूसरी ओर उन्हें बधाई देते राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर सीधा वार करते हुए लिखा कि, इक्नॉमिक्स में नोबेल सम्मान हासिल करने पर अभिजीत बनर्जी को बहुत बहुत बधाई। अभिजीत ने न्याय (NYAY) के कॉन्सेप्ट तैयार करने में काफी मदद की थी। जिसमें गरीबी का खात्मा करने और देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने की काबिलियत थी। बावजूद इसके आज हमारे पास मोदीनॉमिक्स है, जो अर्थव्यवस्था को खोखला और तबाह कर रहा है और साथ ही गरीबी को काफी बढ़ा भी रहा है।
Congratulations to #AbhijitBanerjee on winning the Nobel Prize in Economics.— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 14, 2019
Abhijit helped conceptualise NYAY that had the power to destroy poverty and boost the Indian economy.
Instead we now have Modinomics, that’s destroying the economy and boosting poverty. https://t.co/joBYusVFKT
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने अभिजीत को बधाई दी। साथ उन्होनें ट्वीट में लिखा कि साउथ प्वॉइंट स्कूल और कोलकाता प्रेसिडेंसी कॉलेज के एक्स स्टूडेंट अभिजीत बनर्जी को नोबेल पुरस्कार जीतने पर हार्दिक बधाई। एक और बंगाली ने देश को गौरवान्वित किया। ये हमारे लिए बेहद खुशी का मौका है। जय बांग्ला, जय हिंद
Hearty congratulations to Abhijit Banerjee, alumnus of South Point School & Presidency College Kolkata, for winning the Nobel Prize in Economics. Another Bengali has done the nation proud. We are overjoyed.— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) October 14, 2019
জয় হিন্দ । জয় বাংলা ।
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ट्विटर पर फरमाते है किये दिन हर हिन्दुस्तानी के लिए बड़ा दिन है। इस साल नोबल पुरस्कार जीतने वालों में अभिजीत बनर्जी का नाम शुमार होने पर उन्हें बधाई। गरीबी के खिलाफ होने वाली जंग को अव्वल दर्जें की पहल मिलनी चाहिए। उनके किये गये कामों से दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले कई लाखों विद्यार्थियों को सीधा फायदा पहुँच रहा है। दिल्ली में शिक्षा के क्षेत्र में जिन चुनौतियों का सामना हम अभियान के तौर पर कर रहे है, ये काम उन्हीं के बनाये मॉडल से प्रेरणा लेता है।
Abhijit Banerjee's pathbreaking work has also benefitted lakhs of children studying in Delhi govt schools— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) October 14, 2019
One of Delhi govt's most imp education reform 'Chunauti' has transformed govt school classroom teaching. It is based on the model developed by him. https://t.co/peHgYqXSHt
एक यूजर मुख्य रंजन घोष अभिजीत बनर्जी के नोटबंदी पर दिये बयान की वीडियों साझा करते हुए लिखते है कि ये अभिजीत बनर्जी का बंगाली में नोटबंदी पर दिया गया एक पुराना बयान है, जिसमें वो कह रहे है कि केन्द्र सरकार द्वारा की गयी नोटबंदी एक गैरवाज़िब सरकारी कदम था। इससे भष्ट्राचार किसी भी तरह से रूक नहीं सकता है। आगे इस फैसले से होने वाले खतरनाक परिणाम देखने को मिल सकते है। मुझे नोटबंदी से होने वाले फायदे समझ में नहीं आ रहे है। काबिलेगौर बात ये है कि अभिजीत जेएनयू के पूर्वछात्र है।
Posting an old byte of #NobelPrize2019 winner #AbhijitBanerjee where he said in Bengali that— Mayukh Ranjan Ghosh (@mayukhrghosh) October 14, 2019
"Demonetisation" has been done unnecessarily. It doesn't help curb corruption. The damages of DeMo are greater. I don't understand its benefits."
P.S. He is an alumni of JNU. pic.twitter.com/P2zkdkfFKk
ऐ हिमान्शु नाम से नाम से यूजर लिखते है कि न्यूज़ 18 इंडिया अभिजीत को कुछ इस तरीके से बधाई दे रहा है।
— Aye Himanसू ® (@4mlvodka) October 14, 2019
दानयाल तहसील लिखते है कि पहले रवीश कुमार और अब अभिजीत को पुरस्कार मिलने के बाद भक्तों की हालत कुछ इस तरह से हो गयी है।
— Danyaal Tahsildar (@Danyaal_T) October 14, 2019
0 Comments