कार्तिक मास के
कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सुहागिन महिलाओं द्वारा किया व्रत करवाचौथ के नाम से
जाना जाता है। इन दिन सुहागिन स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु के लिए निर्जला और निराहार
व्रत रखती है। इस व्रत के प्रताप से उनका दाम्पत्य जीवन भी सुखद होता है। उत्तरी भारत
पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश,
मध्यप्रदेश में इसकी धूम खासतौर से देखी जा सकती है। इस साल (2019) करवाचौथ
17 अक्टूबर को है। चतुर्थी तिथि 17 अक्टूबर को 06 बजकर 48 मिनट पर शुरू होकर 18 अक्टूबर
को 07 बजकर 28 मिनट पर समाप्त हो रही है। करवा चौथ पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 05:46 से
07:02 के बीच है। चन्द्रदर्शन का समय 08:20 जिसके बाद व्रत का पारायण हो जायेगा।
करवाचौथ पूजन की विधि
- सूर्योदय से पहले शुद्ध मन से स्नान करके व्रत प्रारम्भ करने का संकल्प लें। संकल्प के साथ इस मंत्र का जाप करे
‘‘मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये कर्क चतुर्थी व्रतमहं
करिष्ये’
उसके बाद मिठाई, फल,
सेंवई और पूड़ी की सरगी ग्रहण कर व्रत शुरू करें। भगवान शिव और
पार्वती को बेलपत्र और श्रृंगार की वस्तुएं (मेंहदी, सिन्दूर, बिन्दी, कुंकुम,
आलता,इत्र) अर्पित करें।
- घर में मंदिर
की दीवार पर गेरू से फलक बनाएं और चावल पीसकर उससे करवा का चित्र बनाएं। इस विधि को करवा धरना कहा जाता है। गोधूलि वेला
मां पार्वती और शिव की कोई ऐसी फोटो लकड़ी के आसन पर रखें, जिसमें
भगवान गणेश मां पार्वती की गोद में बैठे हों। कोरे करवा में जल भरकर करवा चौथ व्रत
कथा सुनें या पढ़ें। मां पार्वती का श्रृंगार करें। इसके बाद मां पार्वती भगवान
गणेश कार्तिकेय और शिव की आराधना करें।
- पति की लंबी आयु के लिए
'नमस्त्यै शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभा। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां
नारीणां हरवल्लभे।'
इस मंत्र का जाप करे। कथा सुनने के बाद घर की
वयोवृद्ध सुहागिन महिलाओं के पैर छूकर उनसे आशीवार्द ले।
- चांद निकलने के बाद छलनी की ओट से दर्शन करे और चन्द्रमा को जल और अक्षत् का अर्घ्य दें। इसके बाद पति से आशीर्वाद लें। उनके हाथ से पानी पियें। उन्हें सुरूचिपूर्ण भोजन कराएं और स्वयं भी भोजन कर लें।
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