महाराष्ट्र में गहराया सियासी संकट, जानिये कोर्ट रूम के अन्दर किसने क्या कहा


महाराष्ट्र की राजनीति में कई नाटकीय मोड़ देखने को मिल रहे है। इस पॉलिटिकल ड्रॉमे की शुरूआत विधानसभा चुनावों के नतीजें आने के साथ ही हो गयी थी। शिवसेना और भाजपा के बीच सीएम पद को लेकर तनातनी, एनसीपी और कांग्रेस का शिवसेना को समर्थन देने से पल्ला झाड़ना, एकाएक शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के बीच सरकार बनाने को लेकर सहमति बनना ये कुछ झलकिया थी। इस सियासी तस्वीर में तेजी तब देखी गयी, जब महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सुबह तड़के 05:47 पर देवेन्द्र फडनवीस को सीएम और एनसीपी के अजित पवार को डिप्टी सीएम की शपथ दिलवा दी। जैसे ही ये खब़र सियासी हलकों में फैली तो खलबली का माहौल बना गया। आनन-फानन में अजित पवार और उद्धव ठाकरे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर खुलासा किया कि, उनके सभी विधायक उनके साथ है। उद्धव ठाकरे ने सूबे में शिवसेना की ही सरकार बनने का दावा ठोंका। शरद पवार ने अजित पवार से विधायक दल के नेता का तमगा छीन लिया और जयन्त पाटिल को विधायक दल का नेता बना दिया। भाजपा पर विधायकों की खरीद फरोख्त का आरोप लगाते हुए एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना ने न्यायालय का ओर रूख़ किया। 


सुनवाई के दौरान मामले के ताज़ा हालात 
मामले की सुनवाई के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय में कांग्रेस का पक्ष अभिषेक मनु सिंघवी, शिवसेना की ओर से कपिल सिब्बल और भाजपा की ओर से मुकुल रोहतगी ने अपना-अपना पक्ष रखा। जिरह शुरूआत करते हुए कपिल सिब्बल ने रविवार के दिन न्यायिक कार्रवाई करवाने के लिए माफी मांगी। कपिल सिब्बल ने कहा कि जिस तरह से तड़के सुबह शपथग्रहण की कार्रवाई हुई है, वो भारतीय लोकतन्त्र में पहले कभी नहीं हुई है। मुकुल रोहतगी ने भाजपा का पक्ष रखते हुए कहा कि, किसी भी राजनैतिक दल के मौलिक अधिकारों का हनन नहीं हो रहा है। राज्यपाल कोश्यारी पर सवालिया निशान लगाते हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि, वो दिल्ली दरबार से मिल रहे हुक्म की तामील कर रहे है। मुकुल रोहतगी ने मजबूत दलील रखते हुए कोर्ट में कहा कि राज्यपाल न्यायपालिका के समक्ष किसी भी तरह जवाबदेह नहीं है। पूरी सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल और अभिषेक मनुसिंघवी न्यायिक बेंच के सामने तुरन्त फ्लोर टेस्ट करवाने की गुजारिश करते रहे। सभी पक्षों की दलीलें सुनकर न्यायिक बेंच ने लिखित आदेश जारी करते हुए महाराष्ट्र सरकार, मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री को नोटिस जारी किया और सोमवार सुबह 10:30 बजे तक राज्यपाल को सौंपे गये समर्थन पत्र को कोर्ट के समक्ष पेश करने के लिए कहा। 


तीनों पार्टियों ने फ्लोर टेस्ट जल्द कराने की मांग रखी 
महाराष्ट्र में भाजपा के खिलाफ़ खड़े तीनों पार्टियों के मौजूदा गठबंधन ने दायर याचिका में 154 विधायकों के समर्थन की बात कही है। साथ ही तीनों की ओर से ये भी गुजारिश रखी गयी है कि, जल्द से जल्द महाराष्ट्र विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाये और उसमें फ्लोर टेस्ट करवाया जाये। अगर संभव हो सके तो आज ही (रविवार) इस कवायद को पूरा किया जाये। सियासी रणनीति बनाते हुए तीनों ने ये भी मांग रखी है कि विधानसभा में एक प्रोटेक्म स्पीकर की नियुक्ति हो जिसकी निगरानी में फ्लोर टेस्ट किया जाये। फ्लोर टेस्ट डिवीजन ऑफ वोट के जरिये हो ना कि ध्वनिमत के जरिये। साथ ही पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी हो ताकि पारदर्शिता बनी रहे। सबूत के तौर पर तीनों ने न्यायालय के समक्ष वो दस्तावेज़ भी पेश किये है, जिसमें राज्यपाल ने देवेन्द्र फडनवीस को सरकार बनाने का न्यौता दिया है। 


मामले में अभी भी लगातार कई दिलचस्प मोड़ आ रहे है 
सियासी गर्माहट के चलते याचिका तुरन्त ही सुनवाई के लिए मान ली गयी है। सरसरी निगाहों में देख तो न्यायपालिका विधायी आदेश पर सुनवायी करेगी। जिसमें सरकार बनाने को लेकर राज्यपाल का आदेश तक खाऱिज किया जा सकता है। याचिका की सुनाई के लिए सीजेआई ने जो रोस्टर तैयार किया है। उसमें तीन सदस्यों वाली न्यायिक बेंच इस पर सुनवाई करेगी। जिसमें न्यायमूर्ति एनवी रमना, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना शामिल है। इतना राजनैतिक बवाल कटने के बाद भी एनसीपी के मौजूदा विधायक दल के नेता जयन्त पाटिल अभी अजित पवार के लिए पलक पांवड़े बिछाये दिख रहे है। उनके मुताबिक एनसीपी में अजित पवार चाहे तो पाँच बागी विधायकों सहित वापसी कर सकते है। फ्लोर टेस्ट में देवेन्द्र फडनवीस सरकार का गिरना लगभग तय माना जा रहा है। 


तीनों दल विधायकों अपने पाले में बनाये रखने के लिए सजग 
विधायक कहीं छिटककर इधर-उधर ना चले जाये इसके लिए खासा ध्यान दिया जा रहा है। एनसीपी और शिवसेना ने अपने विधायकों को होटलों में ठहरा रखा है। उद्धव ठाकरे और शरद पवार विधायकों के लगातार सम्पर्क में है ताकि सरकार बनाने को लेकर उनमें विश्वास बहाल रखा जा सके। किसी भी अप्रत्याशित उल्टफेर से बचने की आंशका के चलते विधायकों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। इसी के चलते बीती रात एक दिलचस्प वाक़या देखने को मिला। एनसीपी विधायक संग्राम जगताप होटल रैनसां से ये कहकर निकले कि, वो टहलने जा रहे है इसी बीच उनकी गाड़ी होटल के मेन पोर्च में दाखिल हुई। इतना देखते ही शिवसेना नेता उन्हें वापस होटल में खींच लाये।

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