साम्प्रदायिक ताकतों को जैमेटो का करारा जवाब़


हमारे देश की सबसे बड़ी खूबसूरत चीज़ है विविधता,ये हमें पहचान देती है। ज्ञात सभ्यताओं के इतिहास में सिर्फ हमारा ही देश जिसे ये नियामत हासिल है। हर गली, हर चौराहे पर नमाज़ और आरती की आवाज़े जब एक साथ गूंजती है तो तिरंगे के सारे फिजाओं में उतर आते है। लेकिन कुछ लोग जिन्हें साम्प्रदायिकता का जहर पीना पसन्द है। जिन्हें देश के भाईचारे और एकता से नफरत है। जिन्हें शांति और सूकून से कोई वास्ता नहीं है। धर्म विशेष, जाति विशेष के प्रति जहरीली बातें करना उनका खासा शौक होता है। मौजूदा वक्त में ऐसा वाकया देखने में आ रहा है। किस्सा है, अमित शुक्ल नाम के एक शख्स ने ऑनलाइन फूड डिलीवरी ऐप जैमेटो पर खाना ऑर्डर किया। सिर्फ इस वजह से ऑर्डर कैंसिल कर दिया क्योंकि फूड की डिलीवरी करने वाला राइडर धर्म विशेष से तालुल्क रखता था। अमित शुक्ल ने ना सिर्फ ऑर्डर कैंसिल किया बल्कि अपने फोन से ऐप डिलीट करके, इस पूरी घटना की जानकारी सोशल मीडिया साइट पर डाल दी।



सोशल साइट अमित शुक्ल ने ये भी लिखा कि जैमेटो उन पर डिलीवरी लेने का दबाव बना रही है। जिन्हें वो लेना नहीं चाह रहे है। ना ही उन्हें रिफंड चाहिए। मैं ये ऐप अनइस्टॉल कर रहा हूँ। साथ ही मैं अपने वकीलों से मिलकर मुद्दे के कानूनी विकल्प तलाशूंगा। मामले ने काफी तूल पकड़ लिया। देखते ही देखते ट्विटर पर ये ट्रैंड करना लगा। जवाब में जैमेटो के मालिक दीपेन्दर गोयल उतरे।

दीपेन्दर गोयल लिखते है कि, 'खाने का कोई मजहब नहीं होता है। यह खुद अपने आप में एक मजहब है। हमें आइडिया ऑफ इंडिया और हमारे सम्मानित ग्राहकों एवं पार्टनरों की विविधता पर गर्व है। हमें हमारी Value की राहों की आड़े में आने वाले बिजनस को खोने पर कोई दुख नहीं है।


बहुत खूब दीपेन्दर गोयल जी। ऐसे साम्प्रदायिक लोगों को ऐसे ही करारा जवाब मिलना चाहिए। ऐसे ही लोगों की कारतूतों के कारण देश की धर्मनिरपेक्ष ढांचा खराब होता है। इस तरह के लोग जहरीले होते है। इन लोगों का बहिष्कार करना चाहिए। जो खाने में भी धर्म और साम्प्रदायिक एंगल तलाशते है।

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