दिल्ली के
विज्ञान भवन में सम्पन्न हुए एक कार्यक्रम में पीएम मोदी ने नवनिर्मित गुजरात भवन
का उद्धाटन किया। इस दौरान विज्ञान भवन में गुजरात की संस्कृति से जुड़े रंगारंग
कार्यक्रम भी हुए। इस खास़ मौके पर गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी और उप
मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने भी कार्यक्रम में शिरकत की। कार्यक्रम के दौरान पीएम
मोदी ने अपने संबोधन में ये खास़ बातें जनता से साझा की।
- गरवी गुजरात सदन गुजरात के करोड़ों लोगों की भावनाओं, परंपराओं और संस्कृति के अनुकूल से प्रेरित हो सभी की सेवा के लिए तैयार है। मैं आप सभी को इसके लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।
- मैं कई वर्षों के बाद आप में से कुछ लोगों को देख रहा था...इस उद्धाटन कार्यक्रम का रिबन कोई भी काट सकता था। लेकिन मुझे खुशी है कि इसका सौभाग्य मुझे मिला क्योंकि मैं आप सभी से मिल पा रहा हूं।
- एक वक़्त था जब लोग, खास तौर से उत्तर भारत के लोग गुजराती भोजन को नापसंद करते थे क्योंकि उन्हें लगता था कि यह बहुत मीठा है। वे कहते थे कि आप लोग करेले में चीनी भी डाल सकते हैं। अब हर कोई पूछता फिर रहा है कि हमें अच्छा गुजराती खाना कहां से मिलेगा। गुजरात के व्यंजनों को स्वाद लेते-लेते ये जरूर याद रखिएगा कि हमें देश को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्ति दिलानी है।
- सबसे बड़ी प्रसन्नता इस बात कि है कि, समय पर प्रोजेक्ट पूरा करने की आदत सरकारी संस्थाओं और सरकारी एजेंसियों में पनप रही है। जब मैं गुजरात में था तो डंके की चोट पर कहता था कि जिस परियोजना का शिलान्यास मैं करता हूं उसका उद्घाटन भी मैं ही करता हूं।
- इस नए सदन में गुजरात में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए, गुजरात में उद्योगों-धंधों के लिए, ये अहम् सेंटर बने इसके लिए नई सुविधायें तैयार की गई हैं। मुझे उम्मीद है कि इन सुविधाओं से गुजरात में निवेश के इच्छुक भारतीय और विदेशी निवेशकों को और ज़्यादा सहूलियतें मिलेगी।
- गुजरात ने विकास को, परिश्रम को सदैव ही तव्ज़ज़ों दिया है। विकास के लिए गुजरात की उत्कंठा को करीब डेढ़ दशकों तक मुख्यमंत्री के नाते मैंने बहुत करीब से देखा है। 5 सालों से मैं देख रहा हूं कि गुजरात ने विकास के अपने सफर को काफी तेज किया है।
- देश के अलग-अलग राज्यों की सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक ताकत ही उसे महान बनाती है, ताकत देती है। लिहाजा देश के हर हिस्से, हर सूबे की ताकत को, शक्तियों को पहचानकर हमें निरन्तर आगे बढ़ना है। उनको राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अवसर देना है।
- जम्मू-कश्मीर और लेह-लद्दाख से लेकर पूर्वोत्तर तक, विंध्य के आदिवासी इलाकों से लेकर साउथ के समुद्री विस्तार तक, हमारे पास देश के साथ शेयर करने और दुनिया को ऑफर करने के लिए बहुत कुछ है। अब हमें इसको प्रमोट करने के लिए अपनी सक्रियता बढ़ानी होगी।
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