अन्न और मन से मनाये
गिरिराज जी महाराज की अन्नकूट पूजा
दीपावली के अगले दिन
अन्नकूट या गोवर्धन पूजा का विधान होता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के गिरिराज
स्वरूप की पूजा की जाती है। ये पूजा प्रतिवर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की
प्रतिपदा को मनाई जाती है। ये पूजा मनुष्यों को सीधे प्रकृति और गौ के प्रति
कृतज्ञता से जोड़ती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान श्री राधावल्लभ
ने अपनी कनिष्का अंगुली पर श्री गोवर्धन पर्वत को धारण किया था। इंद्र के प्रकोप
और उनका मानमर्दन करने के लिए ही भगवान ने अपनी कनिष्ठा अंगुली का प्रयोग किया। और
देवताओं की पूजा के साथ प्रकृति, अन्न और गाय की पूजा का महत्त्व समस्त
ब्रजवासियों को समझाया था। भगवान के चरणों में अन्न समर्पित करने के कारण देश के
कुछ हिस्सों में इन दिन को बलि प्रतिपदा भी कहते है।
अन्नकूट पूजा का
शास्त्रीय विधानः-
गौ, बछड़ों
एवं बैलों की श्रद्धापूर्वक पूजा करे। यदि घर में गाय हो, तो
गाय के शरीर पर लाल एवं पीले लीपे। गाय के सींग पर तेल व गेरू लगाये। फिर उसे घर
में बने भोजन का प्रथम अंश खिलाये। अगर घर में गाय न हो, तो
घर में बने भोजन का अंश घर के बाहर गाय को खिलाना चाहिये।
इसके बाद ही गोवर्धन-पूजा
(अन्न-कूट-पूजा) प्राम्भ करनी चाहिये। पूजन लिए जो लोग गोवर्धन पर्वत के पास नहीं
हैं,
वे गोबर से या अन्न से गोवर्धन बना लेते हैं। अन्न से बने गोवर्धन
को ही अन्न-कूट कहते हैं। गोवर्धन बनने के बाद उसे फूल पत्तियों से सजाये। इसके
बाद पाद्य-अर्घ्य-गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-नैवेद्य-आचमन-ताम्बूल-दक्षिणा समर्पित करते
हुए। इस मन्त्र का जाप करे
गोवर्द्धन धराधार गोकुल
त्राणकारक। विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव:
गोवर्धन की सात बार
परिक्रमा करते हुए धूप,
दीप, नैवेद्य, जल,
फल, फूल, खील, बताशे और भोग के लिए बनाया गया प्रसाद अर्पित करे। बाद में इसे प्रसाद रूप
में बांट दे। यथाशक्ति भक्तगण भंडारा प्रसाद भी लगवा सकते है। अन्नकूट के प्रसाद
को गौ-माता के आवश्य अर्पण करे। गौ-माता का प्रसाद देने से पहले इस मन्त्र का जाप
करे
लक्ष्मीर्या लोक पालानाम्
धेनुरूपेण संस्थिता ।
घृतं वहति यज्ञार्थे मम
पापं व्यपोहतु ।।
इसके बाद पर्वत पर गायों
को चलवाएं या फिर आप इससे अपना घर-आंगन भी लीप सकते है। आप इस गोबर को खाद की तरह
इस्तेमाल करते हुए गमलों में डाल सकते हैं। इस विधि के साथ ही गोवर्धन पूजा सम्पन्न
होती है।
0 Comments