नागरिकता संशोधन बिल के मसले पर देशभर में काफी हलचल मची हुई है। इसे लेकर लोगों की सोच दो हिस्सों में बंटी हुई है। आमतौर पर जो इसके पक्ष में है उनका कहना है कि इससे अफगानिस्तान पाकिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों को राहत मिलेगी। शरणार्थियों को नागरिकता मिलेगी तो उनका जीवन सुधरेगा। शरणार्थियों की मानसिक प्रताड़ना और उत्पीड़न का दौर खत्म होगा। कुछ अतिवादियों का मानना है कि इससे गज़वा-ए-हिंद की कवायद रूकेगी।
जो लोग इसके विपक्ष में खड़े है उनका तर्क ये है कि, इससे देश के सीमित संसाधनों पर बोझ बढ़ेगा। नौकरियां, शिक्षा, चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में शरणार्थियों को भी हिस्सेदारी देनी होगी। इससे देश की आंतरिक सुरक्षा को खतरा होगा सो अलग। कुछ खास़ सोच वाले लोगों का ये भी मानना है कि इस बिल को एक समुदाय विशेष की आबादी को सीमित करने के लिए बनाया गया है और साथ ही ये संविधान की मूल आत्मा के खिल़ाफ है।
भाजपा इस विषय को लेकर काफी संवेदनशील है। तभी हर मौके पर, हर मंच पर उसके प्रवक्ता और वरिष्ठ नेतृत्व नागरिकता संशोधन बिल को लेकर स्पष्टीकरण दे रहे है। ताकि देशभर में इसके पक्ष में माहौल तैयार किया जा सके। इसी मुहिम के चलते झारखंड में पीएम मोदी ने नागरिकता संशोधन बिल अपनी राय देशभर के सामने जाहिर की।
जानिये क्या कहा पीएम मोदी ने CAB के बारे में
• आपने समाचारों में देखा होगा कि देश की संसद ने अभी नागरिकता कानून से जुड़ा एक महत्त्वपूर्ण बदलाव किया है। हमारे देश की संसद ने नागरिकता कानून से जुड़ा एक महत्वपूर्ण बदलाव किया।
• इस बदलाव के कारण पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से जो वहां कम संख्या में थे, जो अलग धर्म का पालन करते थे, इसलिए वहां उन पर जुल्म हुए। उनका वहां जीना मुश्किल हो गया। ये तीन देशों से हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन, बौद्ध उनको वहां से अपना गांव, घर, परिवार सबकुछ छोड़कर भारत में भाग कर यहां शरणार्थी की जिंदगी जीने के लिए मजबूर होना पड़ा।
• उनके जीवन को सुधारने के लिए, इन गरीबों को सम्मान मिले इसलिए भारत की दोनों सदनों में भारी बहुमत से इन गरीबों के लिए नागरिकता का निर्णय किया।
• कांग्रेस और उसके साथी तूफान खड़ा कर रहे हैं, उनकी बात चलती नहीं है तो आगजनी फैला रहे हैं। ये जो आग लगा रहे हैं, ये कौन है उनके कपड़ों से ही पता चल जाता है।
• मैं असम के भाइयों-बहनों का सर झुकाकर अभिनंदन करता हूं कि इन्होंने हिंसा करने वालों को अपने से अलग कर दिया है। शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात बता रहे हैं। देश का मान-सम्मान बढ़े ऐसा व्यवहार असम, नार्थ ईस्ट कर रहा है।
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