Emergency in the country?: इमरजेंसी नहीं आई है, लेकिन जो आ चुका है वह जान लीजिए



• कल लाजपतनगर में दो लड़कियों ने अपने घर के आगे एक पोस्टर भर लगाया कि वह NRC का सपोर्ट नहीं करतीं, एक भीड़ आई, घर घेर लिया, भारत माता की जय के नारे के साथ मारो-मारो चिल्लाने लगी, ताजा खबर ये है कि उन लड़कियों को घर छोड़कर इलाके से बाहर जाना पड़ गया है। ऐसा आपने पहले कभी सुना था? 


• तमिलनाडु में कुछ लोगों ने अपने घर के आगे की सड़कों पर सिर्फ रंगोलियां बनाईं, 8 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया, नए राजा के हिसाब से रंगोली बनाना भी अब अपराध है। 


• S.R. दारापुरी, 70 साल के बुजुर्ग, रिटायर्ड IPS अपनी कॉलोनी में अपने घर के बाहर खड़े थे, सिर्फ एक कागज लेकर जिसपर सिर्फ इतना लिखा- 'NO NRC'. पुलिस की जीप आई, घर से उठा ले गई, धाराएं लगीं, दंगा भड़काने की और जेल में ठूंस दिया गया। 


• इतिहासकार रामचन्द्र गुहा बस एक कागज लेकर सड़क पर खड़े थे, उन्हें धक्का देते हुए पुलिस जेल ले गई, अब भारत में और सऊदी अरब में अंतर ढूंढते रहिए। 


• BHU में बेहद शांतिपूर्ण तरीके से प्रोटेस्ट कर रहे 25 छात्रों, प्रोफेसरों, पत्रकारों को पकड़कर जेल में डाल दिया गया। ये याद रहे कि वहां किसी भी तरह की कोई हिंसा नहीं रही थी। साफ है दूसरा मत रखने पर आपको जेल मिलना तय है। 


• चंद्रशेखर आजाद क्या कर रहा था? क्या वह संविधान की प्रति लेकर भी इस देश में घूम नहीं सकता? डॉ. अंबेडकर के नारे नहीं लगा सकता? वह आजतक जेल में ही ठूंसा हुआ है। 


• जेएनयू विश्वविद्यालय के बाहर मेन गेट को दो दिन तक एक भीड़ घेरे रही, जैसे कि कारसेवा के लिए आई हो, उसे किसी भी तरह की आलोचना पसन्द नहीं थी, उसे किसी भी तरह के नारे से दिक्कत थी, वह बस नोंच लेना चाहते थे, कुचल देना चाहते थे। 


• लोकतंत्र था, इमरजेंसी आ सकती थी, अब भीड़तंत्र है, भीड़तंत्र में इमरजेंसी घोषित करने की जरूरत ही नहीं रही। सुबह के अखबार, नागरिकों को जेल में डालने, उनपर हुए लाठीचार्ज की खबरों से अटे पड़े हुए हैं। किसी पत्रकार की हिम्मत नहीं है कि एक सवाल उठा सके। जिन्होंने उठाई भी थी, नौकरी से निकाल दिया गया, पुण्य प्रसून, मिलिंद, शर्मा, जैसे पत्रकारों को निकाले जाने के अनगिनत उदाहरण हैं। पीएमओ से लेकर गृहमंत्रालय तक सभी न्यूजचैनलों, अखबारों पर नजर बनाए हुए हैं, बराबर निर्देश दे रहे हैं कि क्या खबर चलेगी, क्या नहीं। 

लेकिन ये इमरजेंसी नहीं है,आप टेंशन मत लीजिए।


साभार-श्याम मीरा सिंह की फेसबुक वॉल से

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