Mega Coverage on Jamia Issue: जामिया मुद्दे की गूंज देशभर में सुनायी दी


नागरिकता संशोधन बिल अब अधिनियम की शक्ल अख़्तियार कर चुका है। बीती रात इसे लेकर दिल्ली में काफी बवाल देखने को मिला। पूरे मामले की शुरूआत जामिया विश्वविद्यालय के परिसर में तीन दिन से चल रहे विरोध प्रदर्शन से हुई। बीते दिन ये प्रदर्शन उग्र हो गया। कई वाहनों में तोड़-फोड़ की गयी। डीटीसी के बसों को जलाया गया। आंदोलनकारियों की ओर पुलिस और सुरक्षाबलों पर पत्थरबाज़ी की गयी। पुलिस ने भी विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी में घुसकर छात्रों को मारा। भड़कती हिंसा, पत्थरबाज़ी और आगजनी के लिए आंदोलनकारियों और पुलिस के बीच दोषारोपण का दौर चला। रोशनी ढलने के साथ प्रदर्शन और भी बढ़ गया। जामिया के छात्रों के जेएनयू छात्रसंघ का साथ मिला, दोनों विश्वविद्यालय के छात्रों ने दिल्ली पुलिस मुख्यालय का घेराव किया। आधी रात तक चले इस हाईवोल्टेज ड्रामे को दिल्ली पुलिस लाठियां भांजकर खत्म किया। मामले की गर्माहट के चलते आज कांग्रेस की छात्र इकाई NSUI भी काफी सक्रिय दिखी। 


मामले की चिंगारी देशभर में फूटी 
जामिया में हुई घटना के बाद से छात्र बिरादरी में खासा नाराज़गी पसरी हुई है। देशभर के कई विश्वविद्यालय और छात्र संगठन जामिया के छात्रों के समर्थन में उतर आये है और जगह-जगह विरोध प्रदर्शन करके अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे है। नदवा कॉलेज लखनऊ, मौलाना आजाद उर्दू विश्वविद्यालय हैदराबाद, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, जादवपुर विश्वविद्यालय कोलकाता, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस मुंबई, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, IIT कानपुर,मद्रास और बॉम्बे के छात्रों ने एकजुटता का प्रदर्शन किया। साथ ही दिल्ली पुलिस के खिल़ाफ नारे भी लगाये। 


दिल्ली पुलिस की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस की गयी 
दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता एम.एस. रंधावा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर छात्रों से किसी तरह के बहकावे में न आने की अपील की। दोषियों के खिल़ाफ सख़्त कानूनी कार्रवाई करने की बात भी कही। साथ ही कहा- पुलिस की ओर से किसी तरह की कोई फायरिंग नहीं की गयी है। हमने आंदोलनकारियों कम से कम बल प्रयोग कर रोकने की कोशिश की। जो वीडियों वायरल करके ये दावा किया जा रहा था कि दिल्ली पुलिस ने बस में आग लगाने की कोशिश की, वो गलत है पुलिस ने आग बुझाने की कोशिश की थी। 


मीडिया से भी हुई बदसलूकी 
कवरेज करने गये कई पत्रकारों से आंदोलनकारियों और पुलिस ने जमकर बदसलूकी भी की। ANI के रिपोर्टर उज़्जवल रॉय कैमरामैन सरबजीत सिंह के साथ मारपीट हुई जिसके चलते उनका इलाज़ होली फैमिला अस्पताल में करवाना पड़ा। एबीपी की महिला रिपोर्टर प्रतिमा मिश्रा को आंदोलनकारियों ने घेराकर उन्हें परेशान करनी की कोशिश की। ज़ी न्यूज़ के पत्रकार राहुल सिन्हा ने मुताबिक दो पत्रकारों को बकायदा निशाना बनाकर पीटा गया। बीबीसी संवाददाता बुशरा शेख को मोबाइल एक पुलिसवाले ने छीने लिया और बाल पकड़कर उनके साथ बदसलूकी की। 


प्रियंका गांधी ने जताया विरोध, धरने पर बैठी 
सियासी माइलेज लेने के लिए राजनैतिक दलों में एक होड़ सी देखी गयी। जिसके चलते कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी इंडिया गेट पर धरने पर बैठ गई हैं। उनके साथ कांग्रेस के कई दिग्गज़ चेहरे भी दिखे। प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि सरकार ने संविधान और छात्रों पर सीधा हमला किया है, विश्वविद्यालय में जोर-जब़रदस्ती से घुसने के बाद छात्रों पर हमला किया गया। हम संविधान के लिए लड़ेंगे, हम इस सरकार के खिलाफ मजबूती से खड़े है। 


गृहमंत्रालय ने माहौल शांत करने के लिए एडवाइजरी जारी की 
देशभर में नागरिकता संशोधन अधिनियम के प्रति भड़कते माहौल के देखते हुए, गृहमंत्रालय को आनन-फानन में एडवाइजरी जारी करनी पड़ी। इसके मुताबिक सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से नागरिकता संशोधन कानून को लेकर फैल रही हिंसा और सरकारी संपत्तियों के नुकसान को रोकने के लिए कहा गया है। इसके अलावा आम जनता की सुरक्षा को लेकर पुख्ता कदम उठाने के कड़े निर्देश भी दिये गये है। 


जामिया कुलपति ने पुलिसिया कार्रवाई पर नाराजगी जाहिर की 
जामिया के कुलपति नज़मा अख़्तर दिल्ली पुलिस की कार्रवाई से काफी नाखुश दिखी। मीडिया के सामने उन्होनें बिना इज़ाजत जामिया परिसर में घुसने वाले पुलिसकर्मियों के खिल़ाफ एफ.आई.आर. दर्ज करवाने की बात कही। कुलपति नज़मा अख़्तर ने हिंसा भड़काने के लिए बाहरी शरारती तत्वों का हाथ बताया। उन्होनें कहा- हम सब यूनिवर्सिटी में ही मौजूद थे, अगर पुलिस हमसे सहयोग मांगती तो हम उनकी मदद जरूर करते। लेकिन उन्होनें जबरन भांजी। आप मुझसे पूछते, रजिस्ट्रार से पूछते। हमारे स्टूडेंट्स लाइब्रेरी में थे। पुलिस वालों ने वहां लाठियां चलाईं। बच्चों को बुरी तरह धमकाया गया, जो कि ठीक नहीं है। यूनिवर्सिटी का काफी नुकसान हुआ है। आंसू गैस के गोले चलाये गये। 


सामने आया बांग्लादेशी विदेश मंत्री का चौंकाने वाला बयान 
इन सब कवायदों के बीच बांग्लादेशी विदेश मंत्री ए.के.अब्दुल मोमिन ने एक दिलचस्प बयान दिया है। उन्होनें कहा कि-अगर भारत बांग्लादेश को अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों की लिस्ट मुहैया करवाता है तो वे अवैध प्रवासियों को बांग्लादेश में वापस आने देगें। भारत-बांग्लादेश के मधुर रिश्तों का हवाला देते उन्होनें ये भी कहा कि, ऐसे हर आदमी को आने देंगे, क्योंकि अपने देश लौटना उसका अधिकार है। एनआरसी और नागरिकता संशोधन अधिनियम ये भारत का आंतरिक मामला है। 


ममता बैनर्जी ने केन्द्र सरकार को दी चुनौती 
सियासी मैदान में ममता बैनर्जी भी कूद पड़ी। जिसके तहत कोलकाता में उन्होनें पदयात्रा की अगुवाई की। रेड रोड से मध्य कोलकाता के जोड़ासांकू स्थित रवींद्र भारती विश्वविद्यालय तक हुई इस पदयात्रा में ममता बैनर्जी को तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों का साथ मिला। मोदी सरकार की सीधी चुनौती देते हुए उन्होनें कहा- आप चाहें तो मेरी सरकार बर्ख़ास्त कर दें, पर मैं किसी भी कीमत पर नागरिकता संशोधन क़ानून और एनआरसी लागू को प्रदेश में लागू नहीं होने दूंगी। 


विजय गोयल को भारी विरोध का सामना करना पड़ा 
ज़मीनी हालातों का ज़ायजा लेने मौके पर पहुँचे भाजपा नेता विजय गोयल को छात्रों की भारी नाराज़गी का सामना करना पड़ा। जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में आंदोलनकारी छात्रों ने विजय गोयल गो बैक' के नारे लगाए। बकौल विजय गोयल- ये आंदोलन दुर्भाग्यपूर्ण और राजनीति से प्रेरित है। नागरिकता संशोधन कानून से किसी को डरने की जरूरत नहीं है। यह कानून किसी के भी संवैधानिक अधिकारों में कमी नहीं करता है न ही इस कानून के लागू होने से किसी भी हिन्दुस्तानी की नागरिकता को खतरा है। 


हिंसक आंदोलनकारी छात्रों पर सख़्त हुआ सुप्रीम कोर्ट 
तोड़फोड़ और बढ़ती हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपने तल्ख तेवर दिखाये। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि- हम छात्रों को हिंसा करने के लिए खुली छूट नहीं दे सकते है। मामले में मंगलवार को सुनवाई होगी। अगर प्रदर्शन, हिंसा और सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाना जारी रहता है तो हम सुनवाई नहीं करेंगे। हालात सामान्य होने पर हम इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेगें। हम अधिकारों और शांतिपूर्ण प्रदर्शन के खिलाफ नहीं हैं। 

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