Indian Science Congress Inaugurated by PM Modi: देश विकास महसूस कर रहा है- पीएम मोदी

पीएम मोदी ने आज बैंगलुरू में 107वीं 'भारतीय विज्ञान कांग्रेस' का उद्घाटन किया। ये कार्यक्रम पाँच दिन तक चलेगा। इस बार कार्यक्रम की थीम 'ग्रामीण विकास हेतु विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी' रखा गया है। भारतीय विज्ञान कांग्रेस में दुनियाभर से 15 हज़ार तकनीकी विशेषज्ञ अपनी उपस्थिति दर्ज करवायेगें। जिनमें दो नोबेल पुरस्कार विजेता स्टीफन हेल (मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट, जर्मनी) और अडा ई.योनथ (वाइज़मैन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, इजराइल) का नाम भी शामिल है। 


प्रधानमंत्री मोदी के द्वि-दिवसीय कर्नाटक दौरे का भारी विरोध हो रहा है, जिसके चलते ट्विटर पर कल #Gobackmodi Trend करता दिखा। इसी के तहत कल कुछ किसानों को हिरासत में भी लिया गया था। वे पीएम मोदी को काले झंडे दिखाने की तैयार में थे। इसके अलावा उनकी आलोचना इस बात से भी की जा रही है कि, राज्य में पिछले साल जब भीषण बाढ़ आई थी तो उस समय वह क्यों नहीं आए। लोगों ने उन पर राज्य में जब़रन हिन्दी थोपने के आरोप भी लगाये साथ ही केन्द्र सरकार द्वारा राज्य के किसानों की उपेक्षा, जीएसटी में कर्नाटक की हिस्सेदारी तथा मनरेगा का पैसा को जारी करने में देरी जैसे मुद्दे भी राज्य में पीएम मोदी के आलोचना करने का कारण बनते दिखे। 
भारतीय विज्ञान कांग्रेस के उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान पीएम के भाषण की बड़ी बातें 
• Plastic Waste के साथ-साथ Electronic Waste से मेटल को निकालने और उसके Reuse को लेकर भी हमें नई तकनीक, नए समाधान की ज़रूरत है। 


• आज देश में Governance के लिए, जितने बड़े पैमाने पर साइंस एंड टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हो रहा है, उतना पहले कभी नहीं हुआ। 


• पिछली बार जब मैं बेंगलूरू आया था, तो देश की नज़रे चंद्रयान 2 पर टिकी थीं। उस वक्त, जिस तरह से हमारे देश ने विज्ञान, हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम और वैज्ञानिकों का मनोबल बढ़ाया वह हमेशा मेरी मौका मेरी यादों में आज भी ताजा है। 


• वैज्ञानिकों के यही प्रयास राष्ट्र को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में महती भूमिका निभायेगें। हमें इस तरह के वाहन बनाने होंगे, जो कि पारिस्थितिकी तंत्र को हानि ना पहुंचाएं। तकनीक और प्रौद्योगिकी सरकार और जनता के बीच का पुल है, साथ ही ये तेज विकास-सही विकास में संतुलन कायम करती है। तकनीक तटस्थ होती है। 


• आज हमें कृषि क्षेत्र को सहायता देने वाली तकनीकों में क्रांति की जरूरत है। मिसाल के लिए क्या हम डंठल जलाने की समस्या को लेकर किसानों की समस्या का समाधान कर सकते हैं ? क्या हम अपने ईंट भट्टों को कम कार्बन उत्सर्जन और अधिक एनर्जी ऐफिशियन्सी के लिए रिडिज़ाइन कर सकते हैं। 


• रूरल डेवलपमेंट में तकनीक के उपयोग को हमें कॉम्प्रिहेंसिव बनाना होगा। आने वाला दशक देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित गवर्नेंस के लिए अच्छा समय होगा। साल 2025 तक देश ऊर्जा और बॉयोफ्यूल का सबसे बड़ा निर्यातक और हब के रूप में तब्दील होगा। देश के विकास का एक लंबा रोडमैप तैयार किया गया है। तकनीक तेज और सामान्य विकास के बीच साम्यता कायम रखती है। जब मानवीय क्षमताओं, दक्षताओं का मिलन तकनीक से होता है, तो नए इन्वेंशन होते हैं।

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