प्रधानमंत्री मोदी ने पांच डीआरडीओ की वैज्ञानिक प्रयोगशालाएं राष्ट्र को समर्पित की। अपने दो-दिन के कर्नाटक दौरे में वो कई कार्यक्रम में शिरकत करेगें। इससे पहले वे सिद्धगंगा मठ में एक कार्यक्रम और कृषि कर्मण पुरस्कार वितरण समारोह में हिस्सा ले चुके है। डीआरडीओ का ये कार्यक्रम उनके निर्धारित आज के कार्यक्रमों की सूची में आखिरी कार्यक्रम था। इसके बाद पीएम मोदी का रात्रि प्रवास कर्नाटक राज भवन में होगा। कल वे बेंगलुरु में कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय में 107वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस का उद्धाटन भी करेंगे।
पीएम मोदी के भाषण की बड़ी बातें
∙ये भी हम सबके लिए बहुत गौरव का विषय है कि ये आयोजन Aeronautical Development Establishment में हो रहा है, जहां हम सभी के श्रद्धेय डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम DRDO से जुड़े थे। मुझे संतोष है कि Advanced Technologies के क्षेत्र में 5 Labs स्थापित करने के सुझाव पर गंभीरता से काम हुआ और आज बेंगलुरु, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद और मुंबई में 5 ऐसे संस्थान शुरु हो रहे हैं
∙ ये Labs, देश में उभरती हुई Technologies के क्षेत्र में, Research और Development के स्वरूप को तैयार करने में मदद करेंगी। अपने युवा वैज्ञानिक साथियों से मैं ये भी कहूंगा कि ये Labs, सिर्फ टेक्नॉलॉजी को टेस्ट नहीं करेंगी, आपके टेंपरामेंट और पेशेंस को भी टेस्ट करने वाली हैं। आपको हमेशा ये ध्यान रखना होगा कि आपके प्रयास और निरंतर अभ्यास ही हमें सफलता के रास्ते पर ले जाएंगे।
∙ आज का ये कार्यक्रम तो एक शुरुआत भर है। आपके सामने सिर्फ अगला एक साल नहीं, अगला एक दशक है।इस एक दशक में DRDO का मीडियम और लॉन्ग टर्म रोडमैप क्या हो, इस पर बहुत गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। मैं DRDO को उस ऊँचाई पर देखना चाहता हूं जहां वो न सिर्फ भारत के वैज्ञानिक संस्थानों की दिशा और दशा तय करे, बल्कि दुनिया के अन्य बड़े संस्थानों के लिए भी प्रेरणास्रोत बनें।
∙ आपने भारत के मिसाइल कार्यक्रम को दुनिया के सबसे उत्कृष्ट कार्यक्रमों में शामिल किया है। बीता वर्ष तो स्पेस और एयर डिफेंस के क्षेत्र में भारत के सामर्थ्य को नई दिशा देने वाला रहा है। देश के प्रधानमंत्री के नाते मैं आपके सामने खड़ा होकर कह रहा हूं कि सरकार पूरी तरह आपके साथ, देश के वैज्ञानिकों के साथ, innovators के साथ कंधे से कंधे मिलाकर चलने के लिए तत्पर है।
∙ भारत किसी से भी पीछे नहीं रह सकता। अपने नागरिकों, अपनी सीमाओं और अपने हितों की रक्षा के लिए भविष्य की तकनीक पर Investment भी ज़रूरी है और Innovation भी आवश्यक है। Defence Manufacturing के क्षेत्र में, भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए DRDO को नए Innovations के साथ सामने आना होगा। देश में एक Vibrant Defense Sector को बढ़ावा देने में, मेक इन इंडिया को मजबूत करने में DRDO के Innovations की बहुत बड़ी भूमिका है।
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