उद्धव ठाकरे के बाद शिवराज सिंह चौहान भी भाजपा से अलग हो सकते है?


महाराष्ट्र में तेजी से बदलते हालातों ने कई नये सियासी समीकरणों को जन्म दिया। उद्धव ठाकरे के शपथ ग्रहण के बाद कई चीज़े साफ हो गयी है जैसे- वैचारिक समानता की धुरी राजनीति में कहीं भी स्थान नहीं रखती है। हर बार अमित शाह की राजनीतिक व्यूह रचना पूरी तरह से फुलप्रूफ नहीं हो सकती है। दूसरी और भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है एनडीए का किला बनाये रखना। छोटे झटके भाजपा गठबंधन को झारखंड और पूर्वोत्तर में मिल चुके है। गौरतलब है कि ज़्यादातर राज्यों में भाजपा का कैडर उधारी का है। जिसके चलते उन पर विश्वास करना बेमानी है। भाजपा का मौजूदा बंगाल कैडर इसकी तस्दीक करता है। अगर कोई नेता किसी पार्टी से छिटकने वाला होता है तो इसके शुरूआती लक्षण उसके सोशल मीडिया प्रोफाइल पर दिखने लगते है। 


क्या शिवराज सिंह भी उद्धव की राह पर है? 
जिन हालातों में शिवसेना-भाजपा गठबंधन टूट है। उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि राजनीति में कुछ भी नामुमकिन नहीं है। महाराष्ट्र में कई साल पुराने नाते की दुहाई भी किसी काम ना आयी। ऊपर हमने जिन दो लक्षणों की बात की। कुछ ऐसा ही पैटर्न हमें शिवराज सिंह के ट्विटर अकाउन्ट पर देखने को मिला। शिवराज सिंह भाजपा के कद्दावर नेताओं में से एक है। ऐसे में अगर उनकी ट्विटर बॉयो पर नज़र डाली जाये तो हमें पाते है कि, उन्होनें खुद को द कॉमन मैन ऑफ मध्य प्रदेश लिखा है। अब सोचने वाली बात ये है कि ऐसा क्य़ा हुआ जो उन्हें अपनी पहचान को भाजपा से अलग करना पड़ा। दूसरी ओर उन्होनें जिस अन्दाज़ में उद्धव को बधाई दी है, उससे शक और भी गहरा जाता है। जबकि उद्धव के कारण भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व की अच्छी खासी किरकिरी हुई है। 


कुछ ऐसा ही ज्योतिरादित्य सिंधिया भी कर चुके है 
जिस तरह से शिवराज सिंह चौहान अपनी ट्विटर बॉयो में भाजपा से किनारा करके आंशकाओं को जन्म दे रहे है। ठीक उसी तर्ज पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी पहचान को कांग्रेस से अलग कर लिया था। जिसके बाद से सियासी हलकों में ये सुर्खियां गर्म है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया अब भाजपा की ओर रूख कर सकते है। कांग्रेस आलाकमान को इस तरह अटकलों ने खासा परेशान कर रखा है।

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