#IndiaSupportsCAA: समर्थन में उतरे सद्गुरू जग्गी वासुदेव और कह डाली ये बड़ी बात


देश के प्रमुख आध्यात्मिक गुरू और तत्वदर्शी सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन का समर्थन किया है। उनके मुताबिक- इस कानून को आने में बहुत समय लगा लेकिन इसमें सहानुभूति के संभावनायें बेहद कम है। जिस तरह से इसके प्रति लोगों का रवैया सामने आ रहा है। उन्हें ये लग रहा है कि ये सभी कवायदें उनका धार्मिक उत्पीड़न करेगीं। जिस तरह से लोग इसके विरोध में सड़कों पर उतरे उसे देखकर मुझे काफी अचंभा महसूस हुआ, इस दौरान शायद मैनें कुछ मिस किया है। सद्गुरू ने ये बातें उन लोगों से सामने कहीं जो CAA सहित इस मुद्दे पर उनका विरोध कर रहे थे। अपनी बात आगे बढ़ाते हुए सद्गुरू ने कहा कि- ये बेहद खतरनाक खेल है। कुछ हताश और खीझ से भरे लोग समुदाय विशेष के उन लोगों को बरगला रहे है जो निरक्षर साथ ही गलत जानकारी पाकर भड़क जाते है। लोग ये सोचकर दरिन्दगी की हदें पार कर रहे है कि इस कानून के लागू हो जाने से हिन्दुस्तानी मुसलमानों को अपनी नागरिकता से हाथ धोना पड़ेगा। ये काम वो शरारती तत्व कर रहे है लेकिन जिस तरह से उन्होनें इसे मोबालाइज़ है वो नही होनी चाहिए था। बदकिस्मती से आप लोग जिस दौर में जी रहे है। वहाँ पर मोबाइल फोन का इस्तेमाल करके इस अधिनियम की एक एक पंक्ति पढ़ सकते है। आप जान सकते है आखिर ये है क्या ? कोई भी छात्र या आम व्यक्ति इसे पढ़ सकता है। बावजूद ये सब करने के लोग गंवारों जैसा बर्ताव कर रहे है। वे सभी प्रमुख विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे हैं और कैसे वे अधिनियम को नहीं पढ़ सकते हैं। वाकई ये सब दुखद है लेकिन ऐसा हो रहा है। दूसरी सरकार भी लोगों को विश्वास में लेने और उनसे विश्वास भरे माहौल में संवाद स्थापित करने में विफल रही। मुझे ऐसा लगता है कि ये इतना बड़ा मुद्दा नहीं है। लेकिन जिस तरह से इसे लेकर जो संदेश फैलाये गये है। बदकिस्मती से वो बड़ा खतरा पैदा कर रही है। एक बात तो तय है कि इसे बदलना होगा।


एनआरसी के मुद्दे पर सद्गुरू ने अपना पक्ष रखा और कहा- ये बहुत सामान्य सी प्रशासनिक प्रक्रिया है। देश के हर नागरिक को इस प्रक्रिया से गुजरना चाहिए।

विभाजन के मुद्दे पर सद्गुरू ने कहा- हिन्दुस्तान नहीं बल्कि धर्म के आधार पर दो-एक मुल्क बने है। ये हमारे लिए सौभाग्य की बात है हमने धर्मनिरपेक्षता की राह चुनी। लेकिन दूसरे लोगों ने ऐसा नहीं किया। दूसरों ने धार्मिक मान्यताओं के आधार पर देशों का गठन किया। इस जद्दोजहद में काफी कुछ बदला। हर कोई अपनी प्रोपर्टी नहीं छोड़ सकता। अपना जीवन और सब कुछ सिर्फ इसलिए नहीं छोड़ा जा सकता क्योंकि कुछ मज़हबी सियासी लोगों ने सरहद के तौर पर एक लाइन खींच दी है। तकरीबन 72 साल पहले लोगों के जह़न में ये बात नहीं आयी आखिरी सहीं कदम क्या होगा। सरहद के इस पार या उस पार। उन्हीं में से कुछ लोग ठीक-ठाक संख्या में वापस इस मुल्क में आ गये है। ये विमर्श का मसला हो सकता है। मैं कोई विशेषज्ञ नहीं हूँ लेकिन इतना जरूर है कि वे कहते हैं कि 23 प्रतिशत वापस आ गए। पश्चिम पाकिस्तान और लगभग 30 प्रतिशत पूर्वी पाकिस्तान में वापस आ गए। लोग यहीं कह रहे हैं। क्योंकि किसी के पास और मेरे पास भी सही संख्य़ा नहीं हैं, लेकिन यह कहीं न कहीं है। गलत भी हो सकता है।

1971 में लड़ाई हुई और पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश बना। इसके फिर वहाँ अल्पसंख्यकों का व्यापक उत्पीड़न हुआ। उस वक़्त लगभग 18-19 प्रति प्रतिशत लोग छोड़ कर वापस भारत में आ गए। कोई उचित व्यवस्था नहीं थी। वे सिर्फ स्थानीय आबादी के साथ घुलमिल गए। दुर्भाग्य से उनमें से कुछ अभी भी शरणार्थी शिविरों में है।

पाकिस्तान के मौजूदा हालातों पर सद्गुरू ने तल़्ख टिप्पणी की ओर कहा- वहाँ हिन्दुस्तान की तुलना में हालत एकदम बेहद उल्ट है। वहाँ कानून द्वारा अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव है। भारत में कानून की नजर में, सभी नागरिक एक ही हैं… लेकिन दूसरी तरफ, कानून के मार्फत भेदभाव किया जाता है धार्मिक अस्मिताओं को केन्द्र में रखकर। वहाँ महिलाओं के साथ खुला भेदभाव होता है। अल्पसंख्यकों का संवैधानिक मान्यताओं के नाम पर सीधा उत्पीड़न होता है। पाकिस्तान का हालात इतने खराब है कि एक प्रोफेसर का मृत्युदंड सिर्फ इसलिए दे दिया गया, क्योंकि उसने ञनलाइन प्लेटफॉर्म पर कुछ लिखा था। जो वहाँ की कानून-व्यवस्था को नागवारा था। पाकिस्तानी कानून के मुताबिक जो चीज़े और दशायें धर्म को पसंद नहीं वो देश में नाकाबिले बर्दाश्त है।

सद्गुरू के इस बयान से जुड़े वीडियों को पीएम रिट्वीट करते लिखते है कि- सद्गुरू जग्गी वासुदेव CAA के मसले पर जो समग्र स्पष्टीकरण और व्याख्या दे रहे है। वो वाकई सुनने लायक है। सद्गुरू ने ऐतिहासिक संदर्भों का हवाला दिया है। साथ ही सद्गुरू ने बेहतरीन ढ़ंग से हमारी संस्कृति को परिभाषित किया है जो भाईचारे की नींव पर टिकी हुई है। 

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