केन्द्रीय सूचना आयोग द्वारा जारी एक फैसला मोदी सरकार के लिए करारा झटका साबित हो सकता है। इस फैसले के मुताबिक इलेक्टोरल बॉन्ड का इस्तेमाल करके राजनीतिक चंदा देने वालों के नाम का खुलासा अब सभी राजनीतिक दलों को करना होगा। इसके साथ ही फैसला सुनाते हुए सीआईसी ने कहा कि- उन लोगों के नाम का खुलासा भी किया जाये जो खासतौर से अपना नाम सार्वजनिक ना करने की अपील करते है।
गौरतलब है कि राजनीतिक शुचिता और पारदर्शिता बनाये रखने के लिए साल 2018 के दौरान पीएम मोदी की अगुवाई वाली केन्द्र सरकार में राजनीतिक चंदा देने के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड की शुरू किये गये थे। प्रावधानों के तहत कोई भी दानदाता अपनी पहचान को गुप्त रखते हुए। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की विशेष शाखाओं से एक करोड़ रुपए तक के इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीद कर अपनी पंसदीदा पॉलिटिकल पार्टी को राजनीतिक चंदा दे सकता है।
इलेक्टोरल बॉन्ड्स की व्यवस्था पॉलिटिकल फंडिंग करने वालों के नाम गुप्त रखते हुए, पॉलिटिकल फंडिंग करने वालों को आयकर में छूट देती है। जिसे लेकर खासा विवाद देखने को मिला था। कई वित्तीय विश्लेषकों और राजनैतिक मामलों के जानकारों का ये भी मानना है कि, इससे पारदर्शिता में भारी कमी आयी है, विदेशी पैसा राजनीतिक गलियारे में घुसकर विधायी फैसलों को प्रभावित कर सकता है। इस बाब़त रिजर्व बैंक ने मोदी सरकार को मशविरा दिया था, लेकिन रिजर्व बैंक के परामर्श को दरकिनार करते हुए मोदी सरकार ने इस व्यवस्था को लागू किया।
ये सारा मामला तब उठा जब एक याचिकाकर्ता ने सूचना के अधिकार कानून-2005 के अर्न्तगत आवेदन करके, इससे जुड़ी अपील को दायर किया था। याचिका का संज्ञान लेते हुए केन्द्रीय सूचना आयोग ने इलेक्शन कमीशन, राजस्व विभाग और वित्त मामलों से जुड़े विभाग को तलब करते हुए, कारण बताओ नोटिस जारी किया और साथ ही याचिकाकर्ता को सही जानकारी ना देने, उसे बरगलाने के लिए जुर्माना लगाने का बात कहीं।
गौरतलब है कि सूचना आयुक्त सुरेश चन्द्रा ने ये फैसला साल 2017 में दायर आरटीआई आवेदन को आधार बनाते हुए सुनाया। आवेदक वेंकटेश नायक ने दो साल पहले इकोनॉमिक अफेयर्स विभाग आरटीआई दाखिल करते हुए, पॉलिटिकल पार्टियों गुप्तदान करने वाले लोगों के बारे में सूचना मांगी थी। इकोनॉमिक अफेयर्स विभाग की ओर से आवदेन का कोई जव़ाब वेंकटेश नायक को नहीं मिला। अगस्त 2017 में वेंकटेश नायक ने इस आवदेन से जुड़ी पहली अपील दायर की।
पहली अपील दायर करने के बाद वेंकटेश की अपील को सभी हितधारकों (Stakeholders) भेज दिया गया। जिसमें वित्त सेवाओं से संबंधित विभाग चुनाव आयोग और आरबीआई शामिल थे। इन तीनों संस्थानों को इसलिए अपील की प्रतिलिपि भेजी गयी ताकि याचिकाकर्ता को सही जानकारी मिल सके।
इतना होने पर भी वेंकटेश नायक को सही जानकारी हासिल नहीं हुई, जिसके बाद अन्तिम अपीलीय प्राधिकारी के तौर पर उन्होनें साल 2018 के दौरान केन्द्रीय सूचना आयोग को आवेदन से जुड़ी सूचनायें उपलब्ध ना होने की स्थिति में शिकायत दर्ज करवायी।
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