Women are not safe in the country: देशभर में हर 15 मिनट में एक महिला का होता बलात्कार



व्यवस्था के रहब़र आजकल मुल्क को आगे ले जाने की कवायद में इतने मसरूफ है कि, उन्होनें पिछले साल 11000 से ज़्यादा किसानों की टूटती आव़ाजें नहीं सुनी ज़िन्होनें कर्ज तले दबकर मौत को गले लगा लिया। हर घंटे एक नौज़वान बेरोजगारी के चलते दम तोड़ रहा है और हर पन्द्रह मिनट के दौरान एक औरत की इज़्जत को तार-तार किया जा रहा है। ये सारे किस्से सरकारी रिपोर्टों से हवाले से सामने निकलकर सामने आ रहे है। जब ये सबकुछ हो रहा होता है तो हमारे देश के सियासतदां गरीब आव़ाम को विकास और सशक्तिकरण के फर्जी सपने दिखा रहे होते है। 

बेशक इस मुल्क की आव़ाम इन्हीं फर्जी सपनों की खुमरियों में खुश है और दूसरी तरफ मुल्क को लेकर भी परेशान है। जिस तरह से ये सियासी जोकें देश की चूस रही है। देश का आम नागरिक उसी हालत में जागता है, जब उसके खुद के परिवार में किसी का बलात्कार होता है या फिर आत्महत्या। क्या ये वहीं विकास है, जिसका ढोल कथित राजनेता पीटते है। जिसका दावा ये सियासी जोकें करती है। लोगों की भीड़ के बीच कोई सरकारी योजना का लाभ हासिल किये हुए कोई दिखा आपको ? जब तक हम खुद खड़े नहीं होगे, अपने हक़ की आव़ाज बुलन्द नहीं करेगें तब तक आने वाला कल स्याह काला होगा और इसकी सबसे ज़्यादा मार हमारी आने वाली नस्लों पर पड़ेगी। तो फैसला आपके ऊपर है सबकुछ जानते हुए सोते रहे या  तबाह होने के लिए तैयार रहिये

- कैप्टन जी.एस. राठी
सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता

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