JNU की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक...JNU का धर्मशाला बन जाना है।
DU से सीख सकता है #JNU
मुझे अच्छे से याद है DU से पास आउट के बाद अगले साल किसी काम के सिलसिले से कॉलेज जाना हुआ।मज़ाल था कि गार्ड ने हमें कॉलेज में घुसने दिया। पूरी तसल्ली की अंदर मालूम किया तब जाकर कही एंट्री हुई।
कॉलेज लाइफ के दौरान एक बार I-CARD भूल गया। गार्ड ने घुसने नहीं दिया। जैसे तैसे लाइब्रेरी का कार्ड दिखाकर क्लास तक पहुंच पाए।
#इसके दो फायदे होते थे।
👉 हमारा कॉलेज शांत रहता था, अनावश्यक भीड़ नहीं होती थी।
👉 दूसरा मार-पीट हुई तो पहचान में रहता थी किस-किस के बीच वारदात हुई है।
नाईट स्टे से लेकर दिल्ली में 4 दिन के काम के लिए बाहर से आ रहे है।लोगों के बीच तो ठहराव का पसंदीदा स्थल JNU होता है।
कई चे...और जे टाइप महात्माओं ने स्वंय आपबीती में लिखा है कि JNU में बहुत दिन तक मैंने मेस में स्टूडेंट न होने के बावजूद खाया क्योंकि भुखमरी थी। वो अलग बात है फलां व्यक्ति ने 2 साल पहले किसी पोस्ट में पिता की सरकारी नौकरी में होने की बात कहीं थी। रचनात्मकता के नाम पर इतनी छूट तो बनती है वमियों को।
कई चे...और जे टाइप महात्माओं ने स्वंय आपबीती में लिखा है कि JNU में बहुत दिन तक मैंने मेस में स्टूडेंट न होने के बावजूद खाया क्योंकि भुखमरी थी। वो अलग बात है फलां व्यक्ति ने 2 साल पहले किसी पोस्ट में पिता की सरकारी नौकरी में होने की बात कहीं थी। रचनात्मकता के नाम पर इतनी छूट तो बनती है वमियों को।
अब JNU की स्थिति देखिए कोई JNU के पीछे भी पढ़ लिया हो। वो भी इस दीवार का पेंट सूंघते हुए आजीवन इसके अंदर-बाहर आने के लिए 61-62 साल तक का प्रमाण पत्र पा जाता है। यहां से जिसने पढ़ लिया या पढ़ चुका है तो उसकी तो रजिस्ट्री ही हो जाती है जैसा कि आपने लोगों ने देखा होगा सलीम योगेंद्र यादव की छटपटाहट को, इन लोगों को आजीवन JNU में ठहरने-रूकने का ग्रीन कार्ड मिल जाता है।
एक मित्र आया बाहर से पूछा कहाँ रूकोगे आ जाओ मेरे घर। उसने कहा JNU रूक जाएंगे एक चेला है अपना। हम बोले कैसे रूक जाओगे? बोला जुगाड़ कर लिए है।
#JNU की सबसे बड़ी समस्या....बाहरी कॉमरेडों, या पूर्व हो चुके अंकल लोगों का अंदर तक दखल और लोटा गमछा लेकर आजीवन रजिस्ट्री लेकर जम जाना है। व्यवस्था के इस लूप हॉल को टाइट कीजिये यह नकाबपोश, बाहरी नारे लगाने वाले थे, टाइप स्क्रिप्ट आपको पुन: नहीं दिखेंगे।
हो सकें तो JNU प्रशासन को एंट्री पॉइंट पर CRPF और CISF के प्रोफेशनल जवान की सेवा लेनी चाहिए बिना हथियार वाले। बहुत कुछ सुधर सकता है हालांकि यह छोटी बात है लेकिन मोटी है।
साभार: कुंदन वत्स की फेसबुक वाल से
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